हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
बिना अनुमति छत्तीसगढ़ शासन ने गरियाबंद समेत सभी नगरीय निकायों में पंडाल, धरना, रैली और शोभायात्रा के लिए अनुमति को अनिवार्य किया। नियम, प्रक्रिया और जिम्मेदारी पढ़ें पूरी खबर पैरी टाईम्स पर ।
गरियाबंद, त्योहारों और राजनीतिक रैलियों में सड़कों और मैदानों पर टपकते पंडाल अब फ्री स्टाइल में नहीं लगेंगे। राज्य शासन ने सख्त निर्देश जारी करते हुए साफ कर दिया है कि सार्वजनिक खुले मैदान, सड़क, फुटपाथ, चौराहे और सार्वजनिक स्थानों पर पंडाल या अस्थाई संरचना बनाने से पहले अब अनिवार्य रूप से अनुमति लेनी होगी। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने इस संबंध में विस्तृत परिपत्र जारी किया है। इसी कड़ी में कलेक्टर बी.एस. उईके ने गरियाबंद नगर पालिका और राजिम, छुरा, फिंगेश्वर, कोपरा एवं देवभोग की नगर पंचायतों के सीएमओ को सख्त पालन करने का आदेश दिया है।

बिना अनुमति
बिना अनुमति पंडाल लगाने पर रोक जाने क्या है नया नियम?
5 सौ व्यक्तियों तक की भीड़ और 5 हजार वर्गफीट क्षेत्र वाले आयोजन अलग नियम
5 सौ से अधिक लोगों की भीड़ और 5 हजार वर्गफीट से बड़े आयोजन अलग नियम
अनुमति प्रक्रिया के लिए अलग-अलग आवेदन प्रारूप तय
आयोजन समिति को मजबूती, बिजली, अग्निशमन, साफ-सफाई और सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी यानी अब अगर किसी ने सड़क घेरकर भाई का बर्थडे हो या मोहल्ले की भजन मंडली बिना अनुमति के पंडाल खड़ा कर दिया, तो समझिए सीधे कार्रवाई तय है।
त्योहार और राजनीति दोनों पर असर
गरियाबंद में गणेशोत्सव, दुर्गा पूजा, रामलीला से लेकर राजनीतिक धरना-प्रदर्शन तक हर आयोजन इस आदेश की जद में आएगा। आयोजकों को अब पहले से अनुमति शुल्क भरना होगा और नियमों का पालन करना होगा।
क्यों उठाया गया कदम?
शासन का कहना है कि पंडाल और अस्थाई संरचनाएं अक्सर यातायात बाधित करती हैं, सुरक्षा को खतरा पहुंचता है और सफाई बिगड़ती है। इसलिए अब हर आयोजन सुरक्षा और व्यवस्था के फ्रेमवर्क में ही होगा।
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