रहस्यमयी जंगल छत्तीसगढ़ सरकारी गार्ड फेल, यहां माता की ड्यूटी पास सराई श्रृंगार वन की अनोखी कहानी ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

रहस्यमयी जंगल छत्तीसगढ़ के इस जिले में स्थित सराई श्रृंगार चमत्कारी वन, जहां तस्कर भी माता के डर से लकड़ी का टुकड़ा नहीं उठा पाते। पढ़िए Pairi Times 24×7 की पढ़ें विशेष रिपोर्ट।

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गरियाबंद जंगल बचाने के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर दे, वन विभाग ड्रोन से निगरानी कर ले और अधिकारी फील्ड में पसीना बहा लें, लेकिन जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा विकासखंड का सराई श्रृंगार वन इन सब पर भारी पड़ता है। यहां न कोई चौकीदार चाहिए, न फॉरेस्ट गार्ड क्योंकि पूरा जंगल माता की ड्यूटी में है।

रहस्यमयी जंगल छत्तीसगढ़

रहस्यमयी जंगल छत्तीसगढ़ डोंगरी गांव का सराई श्रृंगार चमत्कारी वन जहां आस्था ही असली चौकीदार है

जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूर डोंगरी गांव का यह जंगल किसी सरकारी आदेश से नहीं, बल्कि आस्था के कानून से सुरक्षित है। ग्रामीण बताते हैं कि यहां सराई के पेड़ पर माता विराजती हैं। पूजा-पाठ का केंद्र तो है ही, लेकिन असली कमाल ये है कि अच्छे से अच्छा तस्कर और चोर भी यहां की लकड़ी का एक तिनका उठाने से डरता है।

चोरी की गारंटी वापस लौटाओ वरना भुगतो

कहानी सिर्फ मान्यता तक सीमित नहीं है। गांव के बुजुर्ग किस्से सुनाते हैं कि जिसने भी अनजाने या जानबूझकर लकड़ी उठाई, घर पहुंचने के पहले ही माता का नोटिस मिल गया। कोई बीमार पड़ा, किसी का बैल मर गया तो किसी को रात भर नींद गायब। हालत ये है कि अगर किसी से गलती से चोरी भी हो जाए, तो अगले ही दिन चुपचाप लौटाकर रख जाता है।

आस्था बनाम वन विभाग

यहां वन विभाग को काम करने का मौका ही नहीं मिलता। सरकार के फाइलों में जंगल बचाओ अभियान चल रहा है, लेकिन डोंगरी में तो माता की आस्था ही सबसे बड़ी इको-फ्रेंडली पुलिस बनी हुई है। व्यंग्य यह है कि जहां सरकारी जंगल काटे जा रहे हैं, वहीं यहां तस्कर तक माता के डर से तख्ती पकड़कर कहते हैं मा, माफ कर, अब नहीं करेंगे।

पर्यटन भी और रोमांच भी

आजकल इस जंगल की चर्चा गांव-गांव में होती है। लोग सिर्फ पूजा करने नहीं, बल्कि उस चमत्कार को देखने आते हैं जो किसी सीसीटीवी से भी ज्यादा भरोसेमंद है। ग्रामीण कहते हैं यहां तो माता खुद चौकीदार हैं, हम सिर्फ दर्शन करने आते हैं। सरकार चाहे जितना ग्रीन इंडिया मिशन चलाए, पर सच यही है कि जहां आस्था चौकीदार बन जाए, वहां जंगल की हरियाली और चोर की चोरी दोनों पर ब्रेक लग ही जाता है।

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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