हिमांशु पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
किस्सा कुर्सी का गरियाबंद कांग्रेस में जिला अध्यक्ष की रेस में भवानी शंकर शुक्ला का नाम सबसे आगे। बीजेपी जहां वोकल फ़ॉर लोकल का नारा लगा रही है, वहीं कांग्रेस में बाहरी नेतृत्व पर उठे सवाल पढ़ें पूरी खबर पैरी टाइम्स पर ।
गरियाबंद राजनीति में सभी पार्टी का अपना अपना नारा है भारतीय जनता पार्टी में आजकल जहां वोकल फ़ॉर लोकल का नारा गूंजा रही है, वहीं कांग्रेस अब वोटल फ़ॉर बाहरी के नए प्रयोग में जुटी है। पहले दोनों विधायक ही पहाड़ी इलाकों से आए, अब खबर है कि कांग्रेस संगठन भी अपना दरबार राजिम से रायपुर ले जाने की तैयारी में है। यानी, गरियाबंद के नेताओं के लिए अब लोकल राजनीति का मतलब है रायपुर तक का लोकल पास ।

किस्सा कुर्सी का जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले या 70 साल पुराने ढर्रे पर होगा चुनाव
जिले में कांग्रेस जिला अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गहमागहमी चरम पर है। छह नामों में सबसे ज्यादा चर्चा भवानी शंकर शुक्ला के नाम की है । वही शुक्ला परिवार, जो पिछले 70 सालों से राजिम विधानसभा में सियासत की मशाल जलाए बैठा है। लेकिन जनता का सवाल भी उतना ही पुराना है । भैया हर बार बाहरी ही क्यों? पिछले विधानसभा चुनाव में अमितेश शुक्ल पर निष्क्रियता के आरोप लगे, और जनता ने भी उनके दावों को खारिज कर भाजपा के रोहित साहू को ऐतिहासिक जीत दिला दी थी।
वादे तो हर चुनाव के वक्त होते है मगर चुनाव के बाद निष्क्रियता के लगते है आरोप
अब भवानी शंकर शुक्ला ने दावा किया है कि अगर मैं जिला अध्यक्ष बना, तो गरियाबंद कांग्रेस भवन में कार्यकर्ताओं के लिए दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे। हर समस्या का समाधान यहीं बैठे-बैठे किया जाएगा। लेकिन सवाल उठता है। यही वादे श्यामा चरण शुक्ल से लेकर अमितेश शुक्ल तक हर किसी ने किए थे। और हर बार जनता ने इन दावों को या तो भूल गया या फिर खारिज कर दिया। तो क्या इस बार कांग्रेस संगठन जनता की भावनाओं से ऊपर जाकर फिर उसी शुक्ल परंपरा को आगे बढ़ाएगा?
मुख्यालय के नेता केवल भीड़ जुटाने और स्वागत के लिए ?
गरियाबंद के कार्यकर्ताओं की चिंता सिर्फ कांग्रेस तक सीमित नहीं है। यहाँ की विडंबना यह है कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों के विधायक बाहरी ही रहते हैं। जिले के लोकल नेताओं की टिकट और पद बंटवारे के समय कोई पूछ परख नहीं होती। जो सालों से झंडा उठाते हैं, उन्हीं को दरवाजे के बाहर खड़ा रहना पड़ता है।
रायपुर के भवानी संगठन को संजीवनी दे पाएंगे या फिर नैय्या डुबाएंगे
सूत्रों के मुताबिक, जिला अध्यक्ष की रेस में भवानी शंकर शुक्ला के साथ शैलेंद्र साहू, युगल पांडे, नीरज ठाकुर, सुखचंद बेसरा और एक अन्य नाम शामिल हैं। मगर निर्णय ऊपर से होगा और नीचे सिर्फ चर्चा, आश्वासन और हताशा। कांग्रेस के भीतर अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या रायपुर के भवानी शंकर शुक्ला संगठन को संजीवनी देंगे या संवेदना सभा की तैयारी करेंगे?
आदिवासी प्रतिनिधित्व और संगठन की संजीवनी की तलाश
गरियाबंद जिले में तीन आदिवासी ब्लॉक हैं, लेकिन कांग्रेस जिला अध्यक्ष की दौड़ में एक भी आदिवासी चेहरा शामिल नहीं है।
यह बात जिले के भीतर गहरी नाराज़गी और सवालों की वजह बनी हुई है। छह नामों में भवानी शंकर शुक्ला, शैलेंद्र साहू, युगल पांडे, नीरज ठाकुर, सुखचंद बेसरा और एक अन्य नाम शामिल हैं।
सवाल यह है कि आदिवासी बहुल जिले में कांग्रेस का नेतृत्व हर बार शहर या बाहरी नेताओं तक ही क्यों सीमित रह जाता है?
कांग्रेस संगठन की हालत भी कुछ खास नहीं रही।
2025 के पंचायत और निकाय चुनावों में युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, छात्र संगठन सभी मोर्चे करारी हार का सामना कर चुके हैं।
ऐसे में रायपुर निवासी भवानी शंकर शुक्ला क्या सच में कांग्रेस संगठन को संजीवनी दे पाएंगे या फिर यह प्रयोग भी संवेदना सभा में बदल जाएगा? गरियाबंद के राजनीतिक जानकारों की माने तो राजिम विधानसभा साहू बाहुल्य क्षेत्र है, वहीं बिन्द्रानवागढ़ आदिवासी बहुल क्षेत्र। इन दोनों इलाकों में शुक्ला परिवार की पकड़ सीमित होती जा रही है। अब सवाल यह है क्या श्याम चरण शुक्ल, विद्या चरण शुक्ल और अमितेश शुक्ल के बाद भवानी शंकर शुक्ल को भी गरियाबंद की जनता स्वीकार करेगी? वर्तमान राजनीतिक हालात में सेंध लगाना नामुमकिन माना जा रहा है।
मंडल और सेक्टर प्रभारी की रिपोर्ट कर सकती है चौंकाने वाले परिणाम
पार्टी सूत्रों के अनुसार, पर्यवेक्षक से मिलने वाले मंडल और सेक्टर प्रभारी तक की रिपोर्ट से इस बार परिणाम को चौंकाने वाले भी आ सकते है। अब देखना यह है कि कांग्रेस स्थानीयों की अनदेखी की परंपरा को तोड़ती है या फिर इतिहास खुद को दोहराने की तैयारी में है। 2025 के पंचायत और निकाय चुनावों में संगठन पहले ही करारी हार झेल चुका है। ऐसे में बाहरी नेतृत्व पर एक और दांव कांग्रेस को गरियाबंद में किस दिशा में ले जाएगा यह आने वाले हफ्ते तय करेंगे। फिलहाल गरियाबंद की राजनीति में चर्चा यही है
बीजेपी बोले वोकल फ़ॉर लोकल, कांग्रेस बोले लोकल का टोटल बहिष्कार ।
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