हिमांशु पैरी टाईम्स डेस्क 24×7 गरियाबंद
गरियाबंद वार्ड नंबर 3 में 4 लाख की नाली दो साल पहले बनी, मगर ढक्कन अब तक नहीं लगे। मच्छर और गंदगी से परेशान लोग बोले ठेकेदार और जनप्रतिनिधि दोनों एक ही वार्ड के, फिर भी काम अधूरा!
गरियाबंद कभी विकास की लहर कहे जाने वाले नगर पालिका के नाली निर्माण कार्य अब स्थानीय लोगों के लिए सिरदर्द बन चुके हैं। वार्ड नंबर 3 में दो साल पहले लगभग 4 लाख रुपए की लागत से बनी नाली अब वार्ड वासियों के लिए चर्चा का विषय बन गई है। वजह साफ है । नाली पूरी, मगर ढक्कन अभी भविष्य की योजना में दर्ज है।

गरियाबंद वार्ड में ढक्कन रहित विकास की नई कहानी
स्थानीय लोगों ने बताया कि दो साल पहले जब नाली बन रही थी, तब सोचा था कि अब मोहल्ले में सफाई और स्वच्छता आएगी। मगर अब यही नाली मच्छरों की हाउसिंग कॉलोनी बन चुकी है। दिन में बदबू, रात में डेंगू की चिंता यही वार्ड की नई पहचान है। मांग करते-करते थक चुके वार्ड वासियों ने आखिरकार अपने दम पर जितना हो सका उतनी जगह पर नाली में ढक्कन लगा दिए उसके बावजूद ज्यादातर जगह खाली पड़ी हुई है जहां से गंदगी फैल रही है ।
2 साल से वार्डवासी लगा रहे गुहार
वार्ड वासियों ने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन सुनवाई सिर्फ कागज पर होती रही। मज़े की बात तो यह है कि इस कार्य को नगर पालिका ने एक ठेकेदार को दिया था, और ठेकेदार ने इसे उसी वार्ड के जनप्रतिनिधि को पेटी कांट्रेक्ट में दे दिया, जो खुद वहीं रहते हैं! यानी घर की नाली, घर का कांट्रेक्टर, और परेशानी भी घरवालों की।
नगर पालिका का जवाब
जब नगर पालिका के अधिकारि से बात की, तो उन्होंने बताया कि जितना काम हुआ, उतने का पेमेंट किया गया। ढक्कन नहीं लगे हैं, इसलिए नोटिस भेजा गया है। यानी, सरकारी भाषा में सीधा मतलब काम अधूरा है, लेकिन कागज पूरा है।
जनप्रतिनिधि और ठेकेदार एक ही गली के दो सिरों पर
सूत्रों के मुताबिक, जिसने यह काम पेटी कांट्रेक्ट में लिया था, वह व्यक्ति खुद उसी वार्ड में रहता भी है। यानी जनता के लिए काम भी उसने किया, और परेशानी भी उसी ने दी। यह किसी फ़िल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं जनसेवा बनाम जनसेवी।
कब होगी जनता की सुनवाई
नगर पालिका का दावा है कि नोटिस जारी कर ठेकेदार को जल्द कार्य पूर्ण करने के लिए कहा गया है, मगर वार्डवासी अब तक यह सोच रहे हैं कि ढक्कन पहले आएगा या फिर कोई नया टेंडर निकल जाएगा ।
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