हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
छत्तीसगढ़ में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने कोर्टरूम से लेकर रेलवे स्टेशन तक सभी को स्तब्ध कर दिया। कहानी में मुख्य पात्र हैं एक रेलवे स्टेशन मास्टर, उसकी पत्नी और एक फोन कॉल जिसने तीन करोड़ का नुकसान करा दिया। पढ़ें पूरी दास्तान, जहां एक साधारण ‘ओके’ शब्द ने रेलवे की गाड़ियों को और एक रिश्ते को हिला कर रख दिया।
कहानी की शुरुआत – ‘ओके’ से झगड़े तक
विशाखापत्तनम का एक स्टेशन मास्टर, जो अपनी ड्यूटी पर था, अचानक पत्नी का फोन आने पर विवाद में फंस गया। बहस के दौरान जब पति ने गुस्से में ‘ओके’ कह दिया, तो दूसरे स्टेशन मास्टर ने इसे ट्रेन को हरी झंडी देने का इशारा समझ लिया। नतीजतन, रात के वक्त प्रतिबंधित नक्सल क्षेत्र में ट्रेन चल पड़ी और रेलवे को 3 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।
कोर्ट में आई रिश्तों की परतें
जब मामला कोर्ट में पहुंचा, तो रिश्तों की कई परतें खुलीं। पति ने बताया कि उसकी पत्नी का एक लाइब्रेरियन से अफेयर शादी से पहले भी था और बाद में भी जारी रहा। पत्नी ने पति पर और उसके परिवार पर दहेज प्रताड़ना के आरोप लगाए और यहां तक कि भाभी पर भी अवैध संबंधों का आरोप मढ़ दिया। कोर्ट ने इसे पति के खिलाफ ‘मानसिक क्रूरता’ माना और तलाक की याचिका मंजूर कर दी।
एक शब्द, करोड़ो का नुकसान
इस पूरे मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कैसे एक छोटा-सा विवाद बड़ी मुसीबत में बदल सकता है। कोर्ट ने पत्नी की हरकतों को गंभीरता से लेते हुए फैसला सुनाया कि ऐसे व्यवहार को मानसिक क्रूरता माना जाएगा। हालांकि, इस झगड़े का सबसे बड़ा नुकसान रेलवे को झेलना पड़ा, जिसे 3 करोड़ का झटका सहना पड़ा।