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राजिम का तालाब कांड मर्डर मिस्ट्री उधारी के पैसे बने जान के दुश्मन 4 दोस्तों ने की क्रूर हत्या, मुंह में बोरी ठूंसी, पत्थर से बांधकर तालाब में फेंका। पढ़ें पूरी दोस्ताना मर्डर स्टोरी ।
गरियाबंद/राजिम: दोस्ती और भाईचारे की मिसालें तो आपने बहुत सुनी होंगी, लेकिन राजिम के इन हीरों ने दोस्ती का एक नया अध्याय लिख दिया है। यहां की पार्टनरशिप फर्म में जब एक पार्टनर ने उधारी चुकाने में आनाकानी की, तो बाकी डायरेक्टरों ने उसे कंपनी से ही टर्मिनेट करने का फैसला कर लिया। जी हां, टर्मिनेट मतलब… सीधा ऊपर का टिकट । यह सनसनीखेज मामला राजिम के लोधिया तालाब का है, जिसने गरियाबंद पुलिस को भी दो दिन तक चक्कर घुमाया।

राजिम का तालाब कांड मीटिंग के लिए बुलाया, एजेंडा था उधारी
स्क्रिप्ट किसी फिल्मी क्राइम थ्रिलर से कम नहीं थी। तारीख 27 अक्टूबर, शाम का वक्त, और लोकेशन लोधिया तालाब का किनारा। यहां चार दोस्तों देवेन्द्र धीवर, थनेन्द्र साहू और उनके दो ट्रेनी (यानी दो नाबालिग) ने अपने पांचवें दोस्त दुर्गेश साहू को जरूरी मीटिंग के लिए बुलाया।
मीटिंग का एजेंडा सिंपल था भाई, उधारी का पैसा कब दे रहा है?
दुर्गेश साहू शायद मूड में नहीं थे। उन्होंने साफ कह दिया नहीं दूंगा। बस! यह नहीं शब्द सुनते ही चारों फाइनेंसरों का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्हें लगा कि उनकी क्रेडिट रेटिंग का ऐसा अपमान ।
फाइनल सेटलमेंट का खूनी तरीका
गुस्से में तमतमाए चारों दोस्तों ने आव देखा न ताव, वहीं लोन डिफॉल्टर दुर्गेश पर टूट पड़े। बेचारा दुर्गेश अकेला और ये चार रिकवरी एजेंट। हाथ, लात, घूंसे… जो मिला, उससे मारना शुरू कर दिया। जब दुर्गेश ने दर्द से चिल्लाकर आसपास के लोगों से मदद मांगने की कोशिश की, तो एक जीनियस आरोपी देवेन्द्र धीवर ने गजब का इनोवेशन दिखाया। उसने पास पड़ी पानी पाउच की खाली बोरी उठाई और उसे सीधा दुर्गेश के मुंह में ठूंस दिया। आवाज़ बंद, तो केस बंद । इसके बाद शुरू हुआ असली तांडव। आरोपियों ने हत्या करने की नीयत से पास पड़े पत्थरों से उसे तब तक मारा, जब तक उसकी सांसें न उखड़ गईं। उधारी का हिसाब… बराबर ।
फुलप्रूफ प्लान और 48 घंटे का सरप्राइज
हत्या तो हो गई, अब बारी थी सबूत मिटाने की। चारों मास्टरमाइंड ने मिलकर लाश को ठिकाने लगाने का फुलप्रूफ प्लान बनाया। उन्होंने मृतक के हाथ-पैर कपड़े से बांधे और फिर भौतिकी (Physics) का पूरा ज्ञान लगाते हुए उसकी कमर में एक भारी पत्थर बांध दिया। मकसद साफ था लाश पानी में जाए, तो सीधा पाताल लोक में मिले। इसके बाद शव को लोधिया तालाब के हवाले कर दिया गया। उन्हें लगा कि उन्होंने क्राइम पेट्रोल का एक परफेक्ट एपिसोड शूट कर लिया है। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि गरियाबंद पुलिस नेटफ्लिक्स से दो कदम आगे चल रही है। 30 अक्टूबर को जैसे ही तालाब में शव मिला, पुलिस और साइबर सेल की टीमें एक्टिव हो गईं।
दोस्ती से बढ़कर पैसा ?
मुखबिरों के नेटवर्क और इन शार्प माइंड की संदिग्ध हरकतों ने उन्हें 48 घंटे के भीतर ही सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। पूछताछ में इन दोस्तों ने अपनी दोस्ती की यह खौफनाक दास्तां खुद ही बयां कर दी। फिलहाल, देवेन्द्र (18), थनेन्द्र (20) और उनके दो नाबालिग सहयोगी अब माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किए जा चुके हैं, जहां वे शायद सोच रहे होंगे कि काश… उधारी के पैसे से ज्यादा दोस्ती की कीमत समझ ली होती ।
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