रिपोर्टर पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
खबर का असर गरियाबंद राज्योत्सव में नाराज माननीयों की मंच पर वापसी, प्रशासन ने आखिरकार लगाए नेताओं के बैनर पोस्टर, पढ़े पूरी खबर पैरी टाइम्स पर ।
गरियाबंद राज्योत्सव के मंच से जो चेहरे पहले गायब थे, वे अब लौट आए हैं। वजह वही खबर का असर। Pairi Times 24×7 द्वारा गरियाबंद राज्योत्सव में मंच से स्थानीय जनप्रतिनिधियों की गैरमौजूदगी को प्रमुखता से उठाने के बाद प्रशासन हरकत में आया। नतीजा यह कि उत्सव के समापन दिवस पर गांधी मैदान में न सिर्फ बैनर पोस्टर चमक उठे, बल्कि नेताओं की वापसी भी रंगीन हो गई।

खबर का असर गरियाबंद जनता और जनप्रतिनिधियों की दिखी थी भारी नाराजगी ।
राज्योत्सव के पहले दिन जब मंच से स्थानीय जनप्रतिनिधियों का नामोनिशान तक नहीं था, तब Pairi Times 24×7 ने इस भूल को उजागर किया था। खबर का असर यह हुआ कि जनता की नाराजगी से लेकर नेताओं की चुप्पी तक, सब पर असर दिखा। राजिम विधायक रोहित साहू ने खुलकर स्वीकार किया था कि जिला प्रशासन से गलती हुई है। अब वही प्रशासन राज्योत्सव के अंतिम दिन तक बैनर पोस्टर चिपकाने में व्यस्त दिखा ताकि कोई कह न दे, हमारे नेता कहां गए।

जब मंच से नीचे बैठे माननीयों ने दी खामोश चेतावनी
पहले दिन के मंच पर जब स्थानीय नेता आमंत्रण की उम्मीद लगाए बैठे रहे और मंच ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया, तब कई माननीय नीचे ही बैठ गए थे। यह खामोश विरोध प्रशासन के कानों में गूंज गया। खबर के बाद माहौल ऐसा बदला कि अंतिम दिन हर टेंट, हर दीवार और हर स्टॉल पर माननीयों के पोस्टर लटकते नजर आए जैसे प्रशासन ने कहा हो, अब तो खुश हैं न।
अब मंच पर एकता की फोटो और पीछे सिस्टम की हकीकत
राज्योत्सव के आखिरी दिन गांधी मैदान में बैनर पोस्टर में भाजपा सांसद रूपकुमारी चौधरी , राजिम विधायक रोहित साहू सहित बिंद्रा नवागढ़ के कांग्रेस विधायक जनक ध्रुव भी नजर आए। पहले जो नाम गायब थे, अब सबके चेहरे मौजूद थे मानो गरियाबंद का उत्सव अब नेताओं की फोटो गैलरी बन गया हो।
खबर प्रकाशन के बाद खुली प्रशासन की आंख .
यह पहली बार नहीं जब खबर ने प्रशासन की आंखें खोली हों। लेकिन इस बार मामला थोड़ा कला प्रदर्शनी वाला था मंच पर लौटे चेहरे और पीछे बैठा जनता का विश्वास। कुल मिलाकर, राज्योत्सव के समापन के साथ प्रशासन ने न केवल गलती सुधारी बल्कि यह भी साबित किया कि मीडिया की स्याही अभी भी फैसले बदल सकती है। और हां, मंच पर लौटे माननीयों के मुस्कुराते चेहरों के पीछे शायद वही सवाल अब भी गूंज रहा है
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