गरियाबंद संकुल समन्वयक पर बड़ी कार्रवाई! सोशल मीडिया पर टिप्पणी करना पड़ा महंगा, 4 पदमुक्त जानें क्या है पूरा मामला और कलेक्टर की सख्त चेतावनी पढ़ें पूरी खबर पैरी टाईम्स पर ।
गरियाबंद शिक्षा विभाग में सोमवार का दिन ‘डिजिटल क्रांति’ के नाम रहा यहां चार गरियाबंद संकुल समन्वयकों (Cluster Coordinators) को सिर्फ इसलिए अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी क्योंकि उन्होंने एक शैक्षिक सोशल मीडिया ग्रुप में अपनी ऊर्जा गलत जगह खर्च कर दी। जी हां, प्रशासन के खिलाफ चंद अमर्यादित टिप्पणियों ने उनकी कुर्सी ही छीन ली। प्रशासन की इस रॉकेट-स्पीड कार्रवाई ने साबित कर दिया है कि उंगली चलाने से पहले अंगूठा न कट जाए, इसका ध्यान रखना कितना जरूरी है।

गरियाबंद संकुल समन्वयक कार्यवाही चैटिंग बनी चटनी क्या है पूरा मामला?
हुआ यूं कि छुरा विकासखंड के शिक्षा विभाग के एक ज्ञानी सोशल मीडिया ग्रुप में कुछ गरियाबंद संकुल समन्वयकों का जमीर जाग उठा। उन्होंने सोचा कि ग्रुप शैक्षिक है, तो थोड़ी शिक्षा प्रशासन और अधिकारियों को भी दे दी जाए। बस, फिर क्या था! उंगलियां की बोर्ड पर थिरकीं और प्रशासन के खिलाफ अनुचित व अमर्यादित शब्द टाइप हो गए। लेकिन बिग बॉस (यानी प्रशासन) सब देख रहा था। जैसे ही मामले की भनक जिला मिशन समन्वयक (DMC) शिवेश शुक्ला को लगी, उन्होंने इसे अति-गंभीर अपराध मानते हुए तत्काल जांच बिठा दी। जांच में चैट का स्क्रीनशॉट सबूत बना और आरोप सत्य पाए गए।
क्लिक करते ही कार्यमुक्त ग्रुप एडमिन भी लपेटे में
जांच रिपोर्ट आते ही प्रशासन ने सर्जिकल स्ट्राइक वाले अंदाज में एक्शन लिया। उन चार क्रांतिकारी गरियाबंद संकुल समन्वयकों को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया। इस डिजिटल सफाई अभियान में ग्रुप एडमिन को भी नहीं बख्शा गया। उन्हें भी मूक दर्शक बने रहने और ग्रुप धर्म न निभाने की सजा मिली और उन्हें भी पद से मुक्त कर दिया गया। संदेश साफ है न रहेगा बांस (ग्रुप), न बजेगी बांसुरी (टिप्पणी) ।
कलेक्टर का फरमान उंगली संभाल के
यह व्हाट्सएप विद्रोह की गूंज जब गरियाबंद कलेक्टर साहब तक पहुंची, तो उन्होंने पूरे जिले के सरकारी कर्मचारियों के लिए साइबर अलर्ट जारी कर दिया।
कोई भी शासकीय कर्मचारी शासन या प्रशासन के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी करता पाया गया तो कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। सभी कर्मचारी अनुशासन में रहकर समय पर कार्य करें।
मतलब साफ है सरकार का दिया फोन इस्तेमाल करें, गुड मॉर्निंग भेजें, लेकिन भूलकर भी गुड गवर्नेंस पर सवाल न उठाएं। अनुशासन का मतलब है सिर्फ काम न की राजनीति ।
अब एनर्जेटिक शिक्षकों की खोज कौन बनेगा नया समन्वयक
चार गरियाबंद संकुल समन्वयकों के पद खाली होने के बाद अब विभाग को नए उम्मीदवार चाहिए डीएमसी शिवेश शुक्ला ने सभी संकुल प्राचार्यों को निर्देश जारी किए हैं कि दो दिनों के भीतर योग्य’, सक्रिय और एनर्जेटिक हो पढ़ाने में न की सोशल मीडिया में एक्टिव हो ऐसे शिक्षकों के प्रस्ताव भेजें ।
इस बार एनर्जेटिक का मतलब शायद वो है जो ‘ऊर्जा’ को सोशल मीडिया पर नहीं, बल्कि सिर्फ फाइलों पर दिखाए। विभाग को ऐसे शिक्षक चाहिए जो सक्रिय तो हों, पर अति-सक्रिय (यानी क्रांतिकारी) न हों।
अब देखना यह है कि ये नए ऊर्जावान चेहरे कौन होंगे और वे अनुशासन के इस कड़े इम्तिहान में कब तक टिक पाते हैं।
संदेश स्पष्ट है लाइक करो, कमेंट नहीं
इस पूरी कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सरकारी नौकरी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक सशर्त सुविधा है। आप सिस्टम का हिस्सा हैं, आलोचक नहीं। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि सोशल मीडिया पर मर्यादा अनिवार्य है, भले ही ग्रुप शैक्षिक ही क्यों न हो।
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