संपादक पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद में अब तक की सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक गरियाबंद के मैनपुर में प्रशासन का बड़ा एक्शन गरीबों को राशन नहीं देने और नोटिस का जवाब न देने पर SDM ने 23 दुकानों को किया सस्पेंड पढ़िए पूरी खबर पैरी टाईम्स पर।
गरियाबंद गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लॉक में आज प्रशासनिक गलियारों में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एसडीएम डॉ. तुलसीदास मरकाम ने एक साथ 23 राशन दुकान संचालकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसे जिले में राशन माफिया और लापरवाह सिस्टम के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक माना जा रहा है। प्रशासन के इस सख्त रवैये से पूरे जिले के राशन डीलरों में खौफ का माहौल है।

गरियाबंद में अब तक की सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक देर रात बड़ी कार्यवाही
मामला बेहद गंभीर और संवेदनशील है। नवंबर का महीना आधा बीत चुका है, त्यौहार निकल गए, लेकिन मैनपुर के 23 गांवों में गरीबों के चूल्हे ठंडे पड़े थे। कारण राशन दुकानों पर लटका ताला। ग्रामीण राशन के लिए भटक रहे थे, लेकिन संचालक दुकानें बंद कर नदारद थे। जब प्रशासन को इसकी भनक लगी, तो पहले शराफत से कारण बताओ नोटिस भेजा गया।
नोटिस को समझा मजाक, फिर जो हुआ वो इतिहास बन गया
इन 23 दुकान संचालकों ने प्रशासन के नोटिस को रद्दी का टुकड़ा समझने की भूल कर दी। जवाब देना तो दूर, इन्होंने अपनी मनमानी जारी रखी। बस यही अहंकार इन पर भारी पड़ गया। मैनपुर एसडीएम ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक झटके में सभी 23 दुकानों के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए।
इन गांवों के डीलरों पर गिरी गाज
प्रशासन ने जिन दुकानों पर ताला जड़ दिया है, उनमें जिडार, भाठीगढ़, कुल्हाड़ीघाट, बरदुला, गवरगांव, कोयबा, इंदागांव, और जुगाड़ जैसे प्रमुख गांव शामिल हैं। इसके अलावा जांगड़ा, कुचेंगा, छोटेगोबरा, भुतबेड़ा, गरहाडीह, उरमाल, केकराजोर, गोहरापदर, खरीपथरा, मदागंमुड़ा, साहेबिनकछार, अड़गड़ी, गोना, सरगीगुड़ा और कुहीमाल के संचालक भी अब पूर्व हो चुके हैं।
अब कौन बांटेगा राशन?
प्रशासन ने साफ कर दिया है कि डीलरों की लापरवाही की सजा जनता को नहीं मिलेगी। एसडीएम ने प्लान-बी एक्टिवेट करते हुए आदेश दिया है कि इन सभी दुकानों का संचालन अब ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव करेंगे। सस्पेंड हुए डीलरों को तुरंत प्रभाव से अपनी ई-पॉस मशीन और राशन का स्टॉक पंचायत को सौंपना होगा।
अधिकारी का दो टूक बयान
एसडीएम डॉ. तुलसीदास मरकाम ने इस कार्रवाई के बाद स्पष्ट संदेश दिया है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम गरीबों का अधिकार है। अगर कोई इसमें रोड़ा बनेगा या अपनी मनमानी करेगा, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। यह कार्रवाई उन सभी के लिए चेतावनी है जो सरकारी काम में लापरवाही बरतते हैं।
बड़ा सवाल
इस कार्रवाई के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या अब व्यवस्था सुधरेगी? क्या सरपंच और सचिव, डीलरों से बेहतर काम कर पाएंगे? फिलहाल, मैनपुर की जनता ने राहत की सांस ली है कि कम से कम प्रशासन उनकी सुध तो ले रहा है।
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