हिमांशु साँगाणी/ गरियाबंद
गरियाबंद बस स्टैण्ड पर ऑटो चालकों के लिए यह दिन कुछ खास रहा, जब पुलिस विभाग ने उन्हें थाने बुलाकर न केवल उनके वाहनों के दस्तावेज चेक किए बल्कि उनके ‘हवा’ की भी जांच कर डाली। हां, आपने सही सुना! ब्रीथ एनालाइजर से एल्कोहल टेस्ट करके पुलिस ने सुनिश्चित किया कि कोई भी चालक नशे की हालत में वाहन न चलाए। इस कार्रवाई से ऑटो चालकों के बीच हलचल मच गई और पूरा माहौल थोड़ी देर के लिए गंभीरता और हल्के-फुल्के मजाक से भर गया। हालांकि जिला बनने के बाद पहली बार गरियाबंद जिले में यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए पुलिस विभाग की इन पहल का स्वागत भी हो रहा है ।
पुलिस विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस के साथ-साथ लिया सांसों का भी टेस्ट ।
पुलिस ने दस्तावेजों की जांच के दौरान चालकों को एक माह का समय दिया ताकि वे अपनी कागजी ‘ताकत’ को दुरुस्त कर सकें। चालकों को नशे में वाहन चलाने पर भविष्य में कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई। इस बीच कुछ चालकों ने आपस में चुटकी लेते हुए कहा, “आज तो पुलिस ने हमारी ड्राइविंग की लाइसेंस ही नहीं, सांसों का भी टेस्ट ले लिया!”
इस तरह की आकस्मिक जांचों से दुर्घटना में कमी आएगी : पुलिस विभाग ।
पुलिस विभाग ने यह कदम सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया। अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार की आकस्मिक जांच से दुर्घटनाओं में कमी आएगी और ऑटो चालक नियमों के पालन में और सतर्क रहेंगे। स्थानीय लोगों ने इस पहल को सराहा और कहा कि पुलिस का यह ‘दोतरफा चेकअप’ वाकई कारगर साबित होगा।
इस पूरी कार्रवाई के बाद ऑटो चालकों के बीच चर्चा का एक ही विषय था – अगली बार शायद दस्तावेज और सांसें दोनों ही दुरुस्त रखें!