हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के अवसर पर शासकीय प्राथमिक शाला खट्टी में महिला सशक्तिकरण को नई पहचान देने वाला “मातृ शक्ति सम्मान समारोह” आयोजित किया गया। इस विशेष कार्यक्रम में उन महिलाओं को सम्मानित किया गया, जो समाज की असली रीढ़ हैं—मितानिनें, आंगनबाड़ी सहायिकाएं और मध्यान्ह भोजन रसोइया!

महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी खट्टी स्कूल की पहल
अक्सर महिला सशक्तिकरण की चर्चा बड़े मंचों तक सीमित रह जाती है, लेकिन इस बार खट्टी स्कूल ने इसे जमीनी स्तर पर उतार दिया। इस अवसर पर संस्था के प्रभारी प्रधान पाठक गिरीश शर्मा ने कहा, “महिला सशक्तिकरण तभी सार्थक होगा जब हर उस महिला को उसका हक मिलेगा, जो दिन-रात समाज की सेवा में लगी हैं।”
गुमनाम नायिकाओं’ को तिलक और श्रीफल भेंट कर मिला सम्मान
कार्यक्रम में मितानिन श्रीमती हेमिन बाई ध्रुव, श्रीमती रामेश्वरी ध्रुव, आंगनबाड़ी सहायिका नंद कुंवर यादव और मध्यान्ह भोजन रसोइया श्रीमती दीपक बाई ध्रुव को तिलक लगाकर और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। इसके अलावा पालकगण श्रीमती अशोक बाई ध्रुव और श्रीमती सरस्वती ध्रुव को भी विशेष रूप से सराहा गया।
सशक्त नारी, शिक्षा हमारी’—महिला सशक्तिकरण का नया संदेश
कार्यक्रम के दौरान महिलाओं की उपलब्धियों और उनके योगदान को रेखांकित करते हुए महिला सशक्तिकरण के महत्व पर चर्चा की गई। सहायक शिक्षक नारायण चंद्राकर ने अपने आभार भाषण में कहा, “महिला दिवस 2025 का असली संदेश यही है कि हर स्तर पर महिलाओं को सम्मान मिले, चाहे वह घर हो, कार्यस्थल हो या समाज।”
क्याl यह पहल बनेगी मिसाल?
आज जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण की बातें हो रही हैं, तो खट्टी स्कूल की इस पहल ने एक नई दिशा दिखाई है। यह कार्यक्रम सिर्फ एक सम्मान समारोह नहीं, बल्कि एक बदलाव की शुरुआत भी है।