समाज कल्याण घोटाला 6 महीने लुका-छिपी के बाद अब FIR दर्ज गरियाबंद के 3.25 करोड़ के समाज कल्याण घोटाले में अब बड़ी कार्रवाई, 6 महीने बाद FIR दर्ज एलएस मार्को और मुन्नीलाल पाल पर भ्रष्टाचार का शिकंजा। जानिए कैसे हुआ ये करोड़ों का खेल और क्या अब धमतरी से भी खुलेगा एक और घोटाले का पिटारा?
गरियाबंद गरीबों, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए बनाई गई योजनाएं कुछ अफसरों के लिए कमाई का जरिया बन गईं। समाज कल्याण विभाग के बहुचर्चित 3.25 करोड़ रुपये के घोटाले में अब आखिरकार FIR दर्ज हो गई है। 6 महीने की नोटिसबाज़ी, फोन, व्हाट्सएप और चुप्पी साध के बाद अब कानून ने दोनों पूर्व अफसरों को घेर लिया है।

समाज कल्याण घोटाला 6 महीने लुका-छिपी के बाद अब FIR दर्ज
समाज कल्याण घोटाला 6 महीने लुका-छिपी के बाद अब FIR दर्ज कौन हैं आरोपी?
पूर्व उपसंचालक एल.एस. मार्को
प्रभारी डीडीओ मुन्नीलाल पाल
इन दोनों अधिकारियों ने 2016 से 2019 के बीच जागरूकता अभियान, पेंशन, दिव्यांग प्रोत्साहन जैसे योजनाओं के नाम पर करोड़ों की रकम निकाल ली। मज़ेदार बात? ये पैसा निकला तो सरकारी खातों से… लेकिन गया फर्जी खातों में!
कैसे हुआ करोड़ों का खेल?
तीन बैंकों (BOI गरियाबंद, HDFC और PNB धमतरी) में खोले गए फर्जी खाते
नौ चेकों के ज़रिए 3.25 करोड़ की सरकारी रकम निकाली गई
दस्तावेजों में कोई एंट्री नहीं, सीधे सेल्फ चेक और कर्मचारियों के नाम पर रकम निकासी
कलेक्टर की अनुमति तक नहीं ली गई
कब-कब हुए चेक जारी?
26 सितंबर 2016 – 22 लाख
24 नवंबर 2017 – 25 लाख
22 जून 2018 – 83 लाख (तीन चेक)
1 मार्च 2019 – 48 लाख
10 मार्च 2019 – 49 लाख
19-20 अगस्त 2019 – कुल 98.5 लाख
क्या हुआ अब तक?
14 फरवरी 2025 को जब कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने FIR के निर्देश दिए थे, उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
लेकिन अब, 1 अगस्त को गरियाबंद पुलिस ने आखिरकार बीएनएस की धारा 409(34) के तहत दोनों अफसरों पर FIR दर्ज कर ली है।
क्या धमतरी से भी खुलेगा बड़ा घोटाला?
मुन्नीलाल पाल 2012-2022 तक धमतरी में भी पदस्थ रहे। जांच अधिकारियों को आशंका है कि वहां भी ऐसे ही फर्जी खातों से लगभग 8 करोड़ का घोटाला हुआ हो सकता है। मतलब गरियाबंद तो ट्रेलर था… मूवी तो धमतरी में चल रही है!
प्रशासन सख्त, लेकिन कार्रवाई कब?
तत्कालीन अपर कलेक्टर अरविंद पांडे की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी ने सबूत जुटा लिए हैं। FIR दर्ज हो गई, लेकिन अब सवाल ये है क्या इन संवेदनशील समाजसेवकों की गिरफ्तारी होगी? या ये भी किसी और घोटाले की फाइल की तरह धूल खाएगा?
वो समाज को सुधारने आए थे… खुद ही सिस्टम के सबसे बड़े घोटालेबाज़ बन बैठे।
गरियाबंद की इस रिपोर्ट के बाद धमतरी में भी जांच की मांग उठ रही है। अब देखना है यह घोटाला खत्म होता है, या फिर इसकी स्क्रिप्ट अभी बाकी ।
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