हिमांशु साँगाणी/गरियाबंद
गरियाबंद : राजस्व विभाग में स्टेनोटाइपिस्ट और आदिवासी विकास विभाग में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पदों के लिए चयनित अभ्यर्थियों का दस्तावेज़ सत्यापन, जो 15 अक्टूबर को आयोजित होना था, जिला प्रशासन ने अचानक स्थगित कर दिया। अपर कलेक्टर अरविंद पांडे ने जानकारी दी कि अपरिहार्य कारणों से यह प्रक्रिया रोक दी गई है, हालांकि कोई नई तिथि घोषित नहीं की गई है।
इस स्थगन के पीछे की वजहों पर अलग-अलग अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन इसके मुखु कारण युवा कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष द्वारा उठाए गए सवाल और कलेक्टर जनदर्शन में राजिम की एक परीक्षार्थी के द्वारा की गई शिकायत को माना जा रहा हैं। उन्होंने कलेक्टर को आवेदन देकर भर्ती परीक्षा में कथित अनियमितताओं की ओर इशारा किया और सत्यापन रोकने की मांग की थी। उन्होंने इस मामले में पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की थी।
चयन प्रक्रिया के इस तरह रुकने से अभ्यर्थियों में निराशा और भ्रम का माहौल बन गया है। कई उम्मीदवारों का मानना है कि परीक्षा पारदर्शी थी और यह स्थगन अनावश्यक देरी पैदा करेगा। वहीं, कुछ लोग इसे प्रशासन द्वारा मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया सही कदम मान रहे हैं।
कलेक्टर को की गई शिकायत के मुख्य बिंदु :
- लिखित परीक्षा परिणाम में अनियमितता: आदिवासी विकास विभाग द्वारा डाटा एंट्री ऑपरेटर और राजस्व विभाग द्वारा स्टेनो टाइपिस्ट की परीक्षा का परिणाम गलत तरीके से घोषित किया गया है।
- कौशल परीक्षा में आमंत्रण: बिना मेरिट सूची जारी किए, 10.10.2024 को कौशल परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों को आमंत्रित किया गया है।
- उत्तर पत्र की कार्बन कॉपी न दी गई: लिखित परीक्षा के बाद उत्तर पत्र (Answer sheet) की कार्बन कॉपी अभ्यर्थियों को नहीं दी गई, जिससे प्राप्त अंकों की जानकारी नहीं हो पाई।
- मेरिट सूची का अभाव: विभाग द्वारा “अर्हतकारी हेतु पृथक से मेरिट सूची संधारित नहीं की गई” का उल्लेख है, जिससे यह स्पष्ट नहीं है कि कौशल परीक्षा के लिए चयन किस आधार पर हुआ।
- संदेहास्पद प्रक्रिया: बिना मेरिट सूची बनाए, कौशल परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों को चयनित करना संदेहास्पद है। विभाग को यह कैसे ज्ञात हुआ कि कौन अधिक अंक प्राप्त करने वाले हैं?
- पारदर्शिता की मांग: परीक्षा में पारदर्शिता की आवश्यकता है, इसलिए कौशल परीक्षा को वर्तमान में स्थगित कर, मेरिट सूची जारी करने की मांग की गई है ताकि अभ्यर्थियों को उनके प्राप्तांक और चयनित अभ्यर्थियों के प्राप्तांक की जानकारी मिल सके।
अब इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी पकड़ लिया है, जहां एक ओर युवा कांग्रेस नेता ने इसे युवाओं के अधिकारों की सुरक्षा का मुद्दा बताया है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन के इस कदम को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है।
परीक्षा के परिणाम रोकने संबंधी जानकारी के लिए गरियाबंद कलेक्टर दीपक अग्रवाल से दूरभाष के माध्यम से संपर्क करने का प्रयास किया गया , मगर उन से बात नही हो पाई । अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कैसे आगे बढ़ता है और क्या जांच के बाद सत्यापन प्रक्रिया फिर से शुरू होती है ।