हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद। जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक तापमान चढ़ चुका है। बीजेपी के बाद अब कांग्रेस ने भी अपने 11 अधिकृत प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है, लेकिन इस सूची के जारी होने से पहले पार्टी के भीतर मंथन और खींचतान का दौर जारी रहा। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमितेश शुक्ल ने खुद को कुछ दिनों पूर्व ही इस पूरी चयन प्रक्रिया से अलग कर लिया था । हालांकि अब उनके इस कदम को राजनीतिक हलकों में कई तरह से देखा जा रहा है।

टिकट बंटवारे को लेकर अंदरूनी कलह?
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस में जिला पंचायत चुनाव को लेकर टिकट के दावेदारों की लंबी कतार थी, जिससे उम्मीदवार तय करने में पार्टी नेतृत्व असमंजस में था। कई कार्यकर्ताओं ने शीर्ष नेतृत्व पर मनमानी और अपने करीबियों को टिकट देने के आरोप लगाए। ऐसे में टिकट वितरण की जवाबदेही से खुद को अलग करते हुए अमितेश शुक्ल का यह कहना कि “जो भी निर्णय स्थानीय कार्यकर्ता लेंगे, वह उन्हें मंजूर होगा,” एक बड़ा राजनीतिक संकेत देता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान संभावित असंतोष को संभालने और किसी भी गुट की नाराजगी से बचने की रणनीति हो सकता है। आमतौर पर बड़े नेता टिकट वितरण में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन इस बार शुक्ल का पीछे हटना पार्टी में आंतरिक मतभेद और सत्ता संतुलन को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है।
संजय नेताम को मिला टिकट?
कांग्रेस द्वारा जारी सूची में जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम को क्षेत्र क्रमांक 7 से टिकट दिया गया है। नेताम की दावेदारी पहले से मजबूत मानी जा रही थी,
बीजेपी-कांग्रेस में अब सीधा मुकाबला!
बीजेपी पहले ही अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है, और अब कांग्रेस की सूची आने के बाद दोनों दलों के बीच सीधा टकराव तय हो गया है। बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत मान रही है, लेकिन कांग्रेस के भीतर का यह अंतर्कलह उसके लिए चुनौती बन सकता है। क्या कांग्रेस इस बार पंचायत चुनाव में अंदरूनी कलह से पार पा सकेगी, या फिर यह असंतोष उसे नुकसान पहुंचाएगा? यह सवाल अब पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़ा है ।