हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
50 साल से मां बनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ में 50 वर्षों से सेवा दे रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाएं आज धरने पर, स्थायीकरण, मानदेय वृद्धि और अन्य मांगों को लेकर 1 सितंबर को राजधानी में विशाल प्रदर्शन की चेतावनी पढ़ें पूरी खबर ।
गरियाबंद 13 अगस्त 2025 को छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने प्रदेशभर में प्रदर्शन किया। सिर्फ बैठी नहीं, बल्कि 50 साल का हिसाब मांग रही हैं। ये वही महिलाएं हैं, जिन्होंने गांव-गांव में कुपोषण से लड़ते हुए पीढ़ियों को खड़ा किया, नवजात को गोद में उठाकर मां जैसी सेवा दी, लेकिन सरकार ने उन्हें अब तक अस्थायी का ठप्पा देकर छोड़ दिया।

50 साल से मां बनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
50 साल से मां बनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पोषण ट्रैकर तकनीक का नाम, झंझट का काम
1975 से लेकर आज तक, इनका दिन सूरज के साथ शुरू होता है और सरकारी निर्देशों के साथ खत्म। गर्भवती महिलाएं, नवजात शिशु, किशोरियां । लगभग 70 लाख हितग्राहियों तक पहुंचने वाली योजनाओं का चेहरा यही हैं। लेकिन हकीकत ये है कि मानदेय इतना कम है कि सहायिका को 45 सौ और कार्यकर्ता को 10 हजार में पूरा महीना गुजारना पड़ता है। उधर, काम का समय 4 घंटे से बढ़ाकर 6 घंटे कर दिया गया वेतन वही पुराना, बस बोझ दोगुना।
50 साल की सेवा, सम्मान अब भी अधूरापोषण ट्रैकर बना परेशानी का कारण
धरने में पोषण ट्रैकर एप पर भी खूब गुस्सा फूटा। बार-बार वर्जन अपडेट, 5G मोबाइल खरीदने की मजबूरी, आधार लिंक की गड़बड़ी, ओटीपी न आने की समस्या और ऊपर से प्रशिक्षण का नाम तक नहीं। हम बच्चों को खाना खिलाने आए थे, मोबाइल घुमाने नहीं, एक कार्यकर्ता ने तंज कसा।
मुख्य मांगें अब सिर्फ वादा नहीं, हक चाहिए
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को तुरंत शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए।
मध्यप्रदेश की तरह हर साल 10% मानदेय वृद्धि।
पर्यवेक्षक भर्ती तुरंत, आयु सीमा खत्म, 100% पदोन्नति।
सेवा समाप्ति पर ₹10 लाख की राशि।
गंभीर बीमारी पर मेडिकल अवकाश के साथ मानदेय।
सिलेंडर, चूल्हा और ईंधन राशि समय पर।
सुपोषण चौपाल और मातृत्व वंदना की राशि हर माह।
RTE से घटती बच्चों की संख्या पर ठोस कदम।
सरकार के लिए फाइल जनता के लिए जीवनरेखा इन कार्यकर्ता ने कई बार गर्मी, बारिश और ठंड में आंदोलन किया, लेकिन सरकार का दिल नहीं पसीजा। शायद इनके लिए सिर्फ वोट बैंक है ये , तभी इनकी सुनवाई नहीं होती।
1 सितंबर राजधानी में हल्लाबोल
चेतावनी साफ है अगर इस बार भी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो 1 सितंबर 2025 को राजधानी रायपुर में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाएं प्रांतस्तरीय प्रदर्शन करेंगी। हम 50 साल तक सेवा कर सकते हैं, तो हक के लिए 50 बार भी सड़क पर उतर सकते हैं, धरने में मौजूद एक महिला ने गर्जना की।
दुसरों के बच्चों के लिए दिनरात खपाने वाली माताओं को कब मिलेगा उनका हक ?
सरकार के लिए आंगनबाड़ी शायद एक प्रोजेक्ट है, लेकिन गांव की मांओं के लिए यह जीवनरेखा है। फर्क बस इतना है कि सरकार के बजट में अंकों की गिनती होती है, और इन कार्यकर्ताओं के दिल में बच्चों की धड़कन।
यह भी पढ़ें ….. भाजपा नियुक्ति एक तरफ किरण की कार्यकारणी से प्रदेश में ऊर्जा का संचार वही जिले में बासी कढ़ी में उबाल ।