हिमांशु साँगाणी/गरियाबंद
गरियाबंद के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) आर.पी. दास ने खुद पर निलंबन की तलवार लटकते ही शिकायतकर्ता शिक्षकों पर भत्ते का बम गिरा दिया। दरअसल, शिक्षक संघ ने बीईओ दास के कार्यालय में चल रहे कथित भ्रष्टाचार की शिकायत कलेक्टर से की थी, जिसके चलते 29 अक्टूबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया। मगर निलंबन की भनक मिलते ही दास ने जाते-जाते शिकायतकर्ता शिक्षकों को भी कटघरे में खड़ा करने का फैसला किया।

पति पत्नी से बिना विकल्प ही कर डाली मांग ।
बीईओ दास ने उन 56 शिक्षकों को चिन्हित किया, जो पति-पत्नी दोनों शासकीय सेवा में कार्यरत हैं और एक ही ब्लॉक में पदस्थ हैं। उन्होंने गृह भाड़ा भत्ता अधिनियम का हवाला देते हुए, नियमों का उल्लंघन कर रहे शिक्षकों के भत्तों में कटौती कर दी। जबकि नियमतः भाड़ा भत्ता काटने के पूर्व पति पत्नी दोनों से विकल्प लेने का नियम है कि किसकी कटौती की जाए मगर दास अपने ऊपर हुई शिकायत से आहत शिक्षको से बिना विकल्प लिए ही उच्च कार्यालय से पूर्व में मिले भत्तों की वसूली के लिए मार्गदर्शन मांगा है। शिक्षकों का आरोप है कि दास ने शिकायत का बदला लेने के लिए इस तरह की कार्रवाई की है।
खुद पर भी लग चुके है नियम विरुद्ध गृह भाड़ा लेने के आरोप ।
गौरतलब है कि बीईओ दास पर स्वयं भी इस तरह का आरोप लग चुका है। नगरी में बीईओ रहते हुए उन पर शासकीय मकान में रहने के बावजूद अलग से गृह भाड़ा भत्ता लेने का आरोप था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जिस नियम का उल्लंघन खुद दास पर हुआ, अब वही नियम अन्य शिक्षकों पर लागू कर दिया गया है।
अपने खिलाफ हुई शिकायत के बारे में दी सफाई
दास ने अपनी सफाई में बताया कि उन्होंने शिक्षकों को नेटवर्क मार्केटिंग जैसी गतिविधियों में शामिल होने और नियम विरुद्ध भत्ता लेने से मना किया था। उनका कहना है कि शिकायतें उन्हीं शिक्षकों की तरफ से की गई हैं, जिन पर उन्होंने नियम विरुद्ध कार्य न करने की समझाइश दी थी।
अब सवाल यह उठता है कि दास ने आखिरकार शिक्षक समुदाय से ‘बदला’ लिया या सिर्फ अपना काम किया?