ब्रह्मचारी निकला बीवी-बच्चों वाला बाबा, वर्तमान राजिम तहसीलदार ने बना दिया महंत, मठ की 400 करोड़ की जमीन बिक गई ।

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By Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

ब्रह्मचारी निकला बीवी-बच्चों वाला बाबा रायपुर के जैतूसाव मठ की 92 एकड़ जमीन एक फर्जी महंत और तहसीलदार की जुगलबंदी से बेच दी गई ऐसा मठ के ट्रस्टियों का आरोप है जमीन का सौदा शराब घोटाले और जेल में बंद आरोपियों के नाम पर किया गया। पढ़िए 400 करोड़ के इस महाघोटाले की पूरी कहानी pairi times 24×7 पर ।

गरियाबंद राजधानी रायपुर में धर्म और भ्रष्टाचार का गठबंधन इस हद तक पहुंच गया कि अब ब्रह्मचारी का मतलब भी बदल गया है। जैतूसाव मठ के ट्रस्टियों का आरोप है कि एक व्यक्ति ने फर्जी महंत बनते हुए वर्तमान राजिम तहसीलदार की कृपा से शादीशुदा होने के बाद भी मठ की 100 एकड़ जमीन बेच डाली वो भी 400 करोड़ की कीमत वाली ।

उल्लेखनीय है कि इस अध्यात्मिक-प्रशासनिक घोटाले के मुख्य पात्र हैं । फर्जी महंत राम आशीष दास (असल में आशिष तिवारी) और तत्कालीन रायपुर तहसीलदार अजय चंद्रवंशी जो वर्तमान में धर्म नगरी राजिम में तहसीदार के पद पर अपनी सेवा दे रहे है । इस मामले के मुख्य आरोपी आशीष तिवारी ने न केवल नाम बदलकर महंत राम आशीष दास बन लिया, बल्कि फर्जी आधार कार्ड से मठ का सर्वराकार भी बन बैठा। तहसीलदार चंद्रवंशी ने कलेक्टर का नाम ट्रस्ट दस्तावेज से काट डाला, और ट्रस्टी बने फर्जी बाबा।

ब्रह्मचारी निकला बीवी-बच्चों वाला बाबा

ब्रह्मचारी निकला बीवी-बच्चों वाला बाबा

ब्रह्मचारी निकला बीवी-बच्चों वाला बाबा जेल में बंद आरोपियों ने खरीदी मठ की जमीन

अब बात करें जमीन की 75 एकड़ धरमपुरा की और 17.5 एकड़ दतरेंगा की। रजिस्ट्री हुई तो शराब घोटालेबाज जेल में बंद महानुभावों के नाम पर ट्रस्ट चिल्लाता रहा, लेकिन बाबा और बाबू दोनों मिलकर मठ की जमीन पर विकास करते रहे।

ट्रस्ट का दर्द

ट्रस्टियों का कहना है कि यह मठ डेढ़ सौ साल पुराना है और जमीन दान में मिली थी। दानदाता उमा देवी अग्रवाल ने साफ कहा था ना बेचो, ना बांटो। लेकिन राम आशीष दास ने तो जैसे दान को धंधा समझ लिया।

कमाल की बात ये कि जैतूसाव मठ में महंत बनने के लिए ब्रह्मचारी होना ज़रूरी है, लेकिन ये वाले महंत साहब तो बीवी-बच्चों वाले हैं! लगता है मठ की नियमावली को तहसीलदार ने बोरियों में बांधकर गोदाम में रख दिया था।

कमिश्नर की जांच

कमिश्नर महादेव कांवरे की जांच में वसीयतनामा संदेहास्पद पाया गया है। अब तक मठ को 62 एकड़ जमीन वापस मिल चुकी है, लेकिन बाकी जमीनें अभी भी घोटाले की भेंट चढ़ी हुई हैं।

क्या होगी कार्रवाई

अब मठ ट्रस्ट द्वारा माना थाने में राजिम तहसीलदार अजय चंद्रवंशी और फर्जी महंत के खिलाफ FIR दर्ज कराई जा रही है। वहीं जनता पूछ रही है धर्म का चोला पहनकर अगर घोटाले होते रहेंगे तो असली भक्त कहां जाएंगे?

अब देखते हैं FIR से फैलेगी रोशनी या मठ की ये धार्मिक संपत्ति राजनीति की कालिख में सदा के लिए खो जाएगी…

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