रिपोर्टर पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
सीजी क्राइम 31 लाख की ठगी कर भागे नागपुर के ठग अभनपुर में गिरफ्तार। जड़ी-बूटी बेचने का कर रहे थे नाटक, एक भागा, दूसरा चादर ओढ़कर छिपा। महाराष्ट्र पुलिस ने ऐसे पकड़ा।
गरियाबंद/अभनपुर छत्तीसगढ़ का शांत समझा जाने वाला अभनपुर क्षेत्र इन दिनों दो कलाकारों की मेजबानी कर रहा था। ये कोई साधारण कलाकार नहीं थे, बल्कि महाराष्ट्र के नागपुर से एक किसान को 31 लाख रुपये के सोने के गहनों का चूना लगाकर भागे हुए महा-चतुर ठग थे। उन्हें लगा कि छत्तीसगढ़ की पावन धरती पर वे जड़ी-बूटी और बैल घुमाने का नया स्टार्टअप शुरू करके अपने पाप धो लेंगे और किसी को कानों-कान खबर नहीं होगी। लेकिन वे भूल गए थे कि पुलिस के हाथ कानून से भी लंबे होते हैं, और आजकल मोबाइल लोकेशन नाम का एक यंत्र भी होता है। ये दोनों आरोपी, जो नागपुर के रहने वाले हैं, लंबे समय से महाराष्ट्र पुलिस को चकमा दे रहे थे। लेकिन पेट पालने और पहचान छिपाने के लिए उन्होंने जो तरीका चुना, वह किसी क्राइम-कॉमेडी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं था।

सीजी क्राइम पानी भरने के बहाने हाई-टेक रेकी का अनोखा प्लान
इन शातिरों का ऑपरेशन इतना सधा हुआ था कि कोई भी इन पर शक नहीं कर सकता था। आईबीसी24 की इन्वेस्टिगेशन के अनुसार, ये कलाकार शुरुआत में उल्बा गांव में केवल दो परिवारों के वेश में पहुंचे थे। शायद मार्केट रिसर्च कर रहे थे। जब उन्हें लगा कि माहौल सेट है, तो अगले ही दिन उनकी संख्या बढ़कर 10 परिवारों तक पहुंच गई। पूरा का पूरा फर्जी कुनबा तैयार था। इनका काम करने का तरीका भी बड़ा इनोवेटिव था। ये अपने साथ एक पिकअप वाहन रखते थे, जिसमें पानी भरने के बड़े-बड़े बर्तन होते थे। ये गांव में घूमते और खासकर दो मंजिला आलीशान मकानों या सरकारी कर्मचारियों के घरों के सामने जाकर रुक जाते। बहनजी, थोड़ा पानी मिलेगा?… इस बहाने ये घर के अंदर घुसते और फिर शुरू होता इनका असली खेल।

10 से 15 घरों पर थी नजर
ये ठग पानी भरने के बहाने घरों में आधा-आधा घंटा बिताते थे। इस दौरान वे सिर्फ पानी नहीं भरते थे, बल्कि घर के कोने-कोने की रेकी यानी जासूसी करते थे। कौन सा कमरा कहाँ है, कीमती सामान कहाँ हो सकता है, घर में कितने लोग हैं, और सबसे जरूरी – भागने का रास्ता किधर है। महज दो दिन के भीतर इन पर्यटकों ने 10 से 15 घरों का ब्लूप्रिंट अपनी आंखों में स्कैन कर लिया था। वे उल्बा गांव में अपनी ठगी की कोई नई अमर कथा लिखते, उससे पहले ही उनकी स्क्रिप्ट में दी एंड आ गया।
जब शाणपट्टी पर भारी पड़ा मोबाइल लोकेशन
इधर ये ठग अभनपुर की ठंडी हवाओं का आनंद ले रहे थे, उधर नागपुर में महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच की टीम इनकी कुंडली खंगाल रही थी। इन ठगों को लगा कि राज्य बदल लेने से सब कुछ बदल जाएगा, लेकिन वे अपना डिजिटल फुटप्रिंट यानी मोबाइल लोकेशन मिटाना भूल गए थे। महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच को जैसे ही आरोपियों के मोबाइल लोकेशन से उनके उल्बा गांव में छिपे होने की भनक लगी, टीम तुरंत हवाई जहाज पकड़ने की बजाय, सीधे सड़क मार्ग से उल्बा के लिए रवाना हो गई। टीम ने गांव पहुंचकर सबसे पहले ग्राम सरपंच नेहरू साहू और ग्राम कोटवार को भरोसे में लिया। पुलिस ने जब दोनों आरोपियों की हैंडसम तस्वीरें सरपंच को दिखाईं, तो सरपंच ने भी उन्हें पहचानने में एक सेकंड की देरी नहीं की। तस्वीर देखते ही वे बोल पड़े, अरे साहब! ये तो वही जड़ी-बूटी वाले भैया हैं, जो कल पानी मांगने आए थे।
एक ने पुलिस को देख लगाई दौड़
सरपंच से पहचान पक्की होते ही महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच ने अभनपुर पुलिस को सूचना दी। खबर मिलते ही अभनपुर पुलिस भी दलबल के साथ मौके पर पहुंच गई। गांव वालों की मदद से चारों ओर से ऐसी घेराबंदी की गई कि परिंदा भी पर न मार सके। पुलिस को देखते ही एक आरोपी ने सोचा कि वह मिल्खा सिंह बनकर दौड़ लगा देगा। वह भागने का प्रयास करने लगा, लेकिन पुलिस के जवानों ने भी दौड़ाकर उसे धर दबोचा।
दूसरे ने चादर ओढ़ कर छुपने की कोशिश की
मगर, कहानी का असली कॉमेडी किंग तो दूसरा आरोपी निकला। जब एक साथी पकड़ा गया, तो दूसरे महा-ज्ञानी ने भागने की बजाय, तंबू के अंदर जाकर चादर ओढ़ ली और अदृश्य होने का नाटक करने लगा। उसे लगा कि पुलिस आएगी और उसे सोता हुआ समझकर छोड़ देगी। पुलिस तंबू के अंदर गई, चादर में उस उभरते हुए सितारे को देखा, और प्यार से चादर हटाकर कहा, पिक-ए-बू! खेल खत्म, बाहर निकलो। पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में दोनों कलाकारों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच की टीम ने अभनपुर थाने में औपचारिक कार्रवाई पूरी की और दोनों वीआईपी मेहमानों को वापस नागपुर ले जाने के लिए रवाना हो गई।
पुलिस की अपील अनजान व्यक्तियों पर नजर रखे
अभनपुर पुलिस ने इस घटना के बाद आम नागरिकों से अपील की है कि अतिथि देवो भवः की परंपरा का पालन जरूर करें, लेकिन किसी भी अनजान व्यक्ति या समूह को अपने गांव या घर में ठहरने की अनुमति देने से पहले सौ बार सोचें। यदि किसी की भी गतिविधि संदिग्ध लगे, तो तुरंत पुलिस को सूचना दें, ताकि आप किसी नए कॉमेडी-क्राइम के अगले शिकार न बनें।
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