हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
CG NEWS छत्तीसगढ़ के इस नगर निगम ने नया नियम बनाया है अब मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए सिर्फ श्मशान घाट की पावती काफी नहीं। पंचनामा, आधार कार्ड और पार्षद का सत्यापन भी ज़रूरी। आखिर मौत को भी प्रमाणित करने की नौबत क्यों?
गरियाबंद/रायपुर जीवित रहने के दौरान लोगों को आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर आईडी, बैंक पासबुक और न जाने कितनी पहचानियों की ज़रूरत पड़ती है। मगर अब तो मरने के बाद भी चैन नहीं! रायपुर नगर निगम ने नियम बना दिया है कि मृत्यु प्रमाण पत्र पाने के लिए सिर्फ श्मशान घाट की पावती काफी नहीं होगी।

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CG NEWS नए नियम पर सवाल
क्या मौत जैसी सच्चाई को भी साबित करने की ज़रूरत है?
ग़म की घड़ी में परिवार दस्तावेज़ कैसे जुटाएगा?
क्या ये प्रक्रिया लोगों को और परेशान नहीं करेगी?
क्या जनप्रतिनिधि बिना सोचे-समझे ऐसे नियम पास कर देते हैं?
अब इसके साथ दो और दस्तावेज़ भी लगाने होंगे
मृतक के पांच संबंधियों के आधार कार्ड सहित पंचनामा।
वार्ड पार्षद का सत्यापन।
परिवारजन ग़म मनाएँ तो कब और कागज़ दौड़ाएँ तो कब?
नगर निगम के इस नए नियम ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगली बार शायद जलती हुई चिता की सेल्फी भी अटैच करनी पड़े। गनीमत है अभी तक ये शर्त नहीं जोड़ी गई है। सवाल ये उठता है कि आखिर मौत जैसी सच्चाई को भी प्रमाणित कराने की ज़रूरत क्यों पड़ रही है? क्या अब कोई बिना सत्यापन के मर भी नहीं सकता?
लोग चुटकी ले रहे हैं कि नगर निगम ने तो मौत को भी ऑफिसियल बना दिया। अब न सिर्फ जीना मुश्किल है, मरना भी प्रोसीजर से बंध गया है।
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