बैकफुट पर नक्सली , अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे से पहले रखा शांति वार्ता प्रस्ताव , ऑपरेशन कगार रोकने की मांग ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी

अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे से पहले नक्सलियों ने शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा है। ऑपरेशन कगार को रोकने की मांग और हिंसा पर चिंता जताई।

गरियाबंद नक्सली शांति वार्ता को लेकर बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे से ठीक पहले सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्र और राज्य सरकार से ऑपरेशन कगार रोकने की मांग की गई है। पत्र में दावा किया गया है कि बीते महीनों में इस अभियान के तहत सैकड़ों आदिवासियों और संगठन से जुड़े सदस्यों की मौत हुई है।

प्रवक्ता ‘अभय’ द्वारा जारी पत्र में माओवादियों ने कहा है कि नक्सली शांति वार्ता के लिए पूरी तरह तैयार हैं, बशर्ते सरकार आदिवासी इलाकों में चल रहे सैन्य अभियानों को रोकने और नये सुरक्षा शिविरों की स्थापना पर रोक लगाए। पत्र के अनुसार, यदि सरकार सकारात्मक प्रतिक्रिया देती है तो संगठन तत्काल युद्धविराम की घोषणा करेगा।

ऑपरेशन कगार की कार्रवाई बनी पृष्ठभूमि

गृह मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन कगार के तहत बीते 15 महीनों में नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा सैन्य अभियान चलाया गया है। इसमें 400 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया गया, जिनमें शीर्ष कमांडर और PLGA सदस्य भी शामिल हैं। अभियान के प्रभाव से नक्सली संगठन पर भारी दबाव है। जिसके चलते नक्सली शांति वार्ता के लिए पहल कर रहे है ।

अमित शाह का दौरा और रणनीतिक समीक्षा

अमित शाह के दो दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान वे बस्तर ज़ोन में चल रही सुरक्षा कार्रवाई की समीक्षा करेंगे। माना जा रहा है कि यह दौरा बेहद अहम होगा, क्योंकि केंद्र सरकार का लक्ष्य 2025 तक नक्सल मुक्त भारत बनाना है। अमितशाह के इस दौरे के पहले नक्सलियों ने शांति वार्ता की अपील की ।

प्रेस नोट में की गई प्रमुख मांगें:

सभी क्रांतिकारी क्षेत्रों से सुरक्षाबलों की वापसी

नए सुरक्षा शिविरों की स्थापना पर रोक

आदिवासी नागरिकों पर हो रही कार्रवाई बंद हो

संवाद के लिए सकारात्मक माहौल बनाया जाए

क्या सरकार मानेगी प्रस्ताव?

अब सबकी नजर केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर है। क्या सरकार इस प्रस्ताव को संभावित समाधान के तौर पर देखेगी या फिर ऑपरेशन को तेज करते हुए आखिरी मोड़ तक ले जाएगी?

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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