हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद जिला अस्पताल में टॉयलेट समस्या शौचालयों की हालत बदतर, सीवरेज सिस्टम चोक। इंजीनियर भी समाधान नहीं निकाल पाए। मरीजों और परिजनों को भारी परेशानी।
गरियाबंद, गरियाबंद जिला अस्पताल टॉयलेट समस्या इन दिनों मरीजों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन चुकी है। लाखों का बजट मिलने और उसमें खर्च करने के बाद भी जिला अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का टोटा है महिला और पुरुष वार्ड के शौचालयों का सीवरेज सिस्टम पूरी तरह चोक हो गया है, जिससे अस्पताल में बदबू और गंदगी का माहौल बना हुआ है।

गरियाबंद जिला अस्पताल में टॉयलेट समस्या
गरियाबंद जिला अस्पताल में टॉयलेट समस्या का मुद्दा जेडीएस की बैठक में उठा, मगर नही निकला समाधान
मरीज और उनके परिजन मजबूरी में गंदगी के बीच इलाज करवाने को मजबूर हैं। सिविल सर्जन डॉ. डी.सी. पात्रे ने बताया कि यह मामला जीवनदीप समिति की बैठक में उठाया जा चुका है। नगर पालिका के इंजीनियर निरीक्षण कर लौट चुके हैं लेकिन समाधान नहीं निकला। जब भी कोई बड़ा अधिकारी या जनप्रतिनिधि औचक निरीक्षण पर आता है, अस्पताल की व्यवस्था कुछ समय के लिए चमका दी जाती है, लेकिन दौरे के बाद हालात फिर से पुराने जैसे हो जाते हैं।
गरियाबंद जिला अस्पताल में टॉयलेट समस्या को लेकर नपा के इंजीनियरों ने भी हाथ खड़े किए ।
इंजीनियरों ने भी स्थिति देखकर हाथ खड़े कर दिए हैं। डॉक्टरों की ओर से यह बयान आया कि जब तक नया टॉयलेट नहीं बनता, समस्या बनी रहेगी। यह सवाल अब जिला प्रशासन के सामने है कि क्या अस्पताल जैसी जगह पर बुनियादी सुविधाएं भी इमरजेंसी मोड में ही मिलेंगी?
स्वच्छता से परे, सेवा में खरे
अब प्रशासन को चाहिए कि या तो नया टॉयलेट बनवाए, या फिर अस्पताल के बाहर एक बोर्ड टांगे स्वच्छता से परे, सेवा में खरे फिलहाल मरीजों और उनके परिजनों को शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा के बिना ही इलाज करवाना पड़ रहा है। अब देखना यह है कि इस गंदगी की दुर्गंध जनप्रतिनिधियों की नाक तक कब पहुंचेगी ।
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