हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
गरियाबंद: जिले के फिंगेश्वर ब्लॉक में इन दिनों झोलाछाप डॉक्टरों के क्लिनिकों पर सफेद रंग की बिना नंबर प्लेट वाली एक गाड़ी का आना-जाना लगा हुआ है। इस गाड़ी में बैठे लोग खुद को सरकारी अधिकारी बताते हुए कार्रवाई के नाम पर उगाही में जुटे हैं। कार्रवाई के नाम पर स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा का दावा करने वाले प्रशासन के पास न ही कोई ठोस जानकारी है, न ही इसका जवाब कि ये तथाकथित टीम किसकी ओर से काम कर रही है।
खास बात ये है कि इस तथाकथित टीम में नोडल अधिकारी तो दूर, कोई राजस्व अधिकारी भी नहीं है। आमतौर पर ऐसी कार्रवाइयों में स्वास्थ्य और राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल रहते हैं, मगर इस टीम का प्रशासन के दस्तावेजों में कहीं कोई उल्लेख नहीं है। लोगों का कहना है कि प्रशासन द्वारा दो दिन पहले ही एक झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ विधिवत कार्रवाई की गई थी, जिसके बाद अब इस नकली टीम ने मौके का फायदा उठाना शुरू कर दिया है।
नर्सिंग एक्ट के नोडल अधिकारी हरीश चौहान ने साफ कहा कि उनकी ओर से ऐसी कोई टीम नहीं बनाई गई है और किसी भी अधिकारी को फिंगेश्वर क्षेत्र में कार्रवाई के लिए नहीं भेजा गया। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में मीडिया से जानकारी मिली है और वे जल्द ही जांच कराएंगे कि जिले में ये किसके इशारों पर चल रहा है।
अब सवाल ये उठता है कि क्या ये प्रशासन की ढिलाई है या फिर अराजक तत्वों के लिए ‘दीवाली का तोहफा’? आखिर कैसे बिना अनुमति के कोई टीम सरकारी कर्मियों का रूप धरकर उगाही कर सकती है? स्वास्थ्य और सुरक्षा के नाम पर होने वाले इस तरह के फर्जीवाड़े पर प्रशासन की चुप्पी ने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया है।