हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
24 साल से पुल का इंतज़ार धमतरी काजल नदी हादसे में सरपंच के देवर की मौत, दो ग्रामीण बचे। 24 साल से पुल निर्माण की मांग अधूरी, बरसात में हर साल गाँव विकास से कट जाते हैं।
गरियाबंद जिले के रावनडिग्गी से खरीदी गई दवाई किसी बीमारी को तो क्या बचाती, लेकिन धमतरी की काजल नदी ने इलाज का बिल सीधा ज़िंदगी से वसूल लिया। रविवार शाम को जबर्रा गांव के तीन ग्रामीण दवाई लेकर लौट रहे थे कि बीच रास्ते में नदी का उफान मौत बनकर सामने आ गया। दो किसी तरह तैरकर किनारे निकल गए, लेकिन मनिहार मरकाम (34) लहरों में समा गया। दर्दनाक यह भी कि मृतक युवक सरपंच का देवर था

24 साल से पुल का इंतज़ार
24 साल से पुल का इंतज़ार गरियाबंद का कनेक्शन, धमतरी का सबक
जबर्रा गांव के सुकलाल, राजकुमार (35) और मनिहार मरकाम बाइक से गरियाबंद जिले के रावनडिग्गी दवाई लेने गए थे। लौटते वक्त शाम सवा पाँच बजे काजल नदी का बहाव तेज मिला। तीनों ने बाइक किनारे खड़ी की और हाथ पकड़कर नदी पार करने लगे। तभी पानी का स्तर अचानक बढ़ा और तीनों बह गए। सुकलाल व राजकुमार ने किसी तरह तैरकर जान बचाई, लेकिन मनिहार की लाश अगले दिन डेढ़ किलोमीटर दूर बरामद हुई।
24 साल से अधूरा पुल, हर साल अधूरी ज़िंदगियाँ
ग्रामीणों ने बताया कि इस नदी पर पुल की मांग पिछले 24 सालों से चल रही है। बजट में नाम आया, नेताओं ने वादा किया, लेकिन हकीकत यह है कि हर साल बारिश में दर्जनों गाँव मुनईकेरा, रतावाडीह, भोभलाबाहरा, देवगांव, जबर्रा, खरखा और मारागांव मुख्यालय से कट जाते हैं। मजबूरी में ग्रामीणों को इलाज, दवाई या ज़रूरत की चीज़ों के लिए जान हथेली पर रखकर नदी पार करनी पड़ती है।
नेता जी ने सुनी होती फरियाद तो नहीं जाती जान ?
नेता जी कहते हैं हर गाँव को दवाई, हर घर को इलाज मगर असली हालत यह है कि गरियाबंद की दवाई लेकर लौटे लोग धमतरी की नदी में स्थायी इलाज पा जाते हैं। सवाल उठता है कि आखिर यह पुल कब बनेगा जब अगली बार चुनावी भाषण में नेता जी फिर से कहेंगे आपका वोट दीजिए, पुल ज़रूर बनेगा ?
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