हिमांशु….. पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गज संकेत ऐप मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कॉन्फ्रेंस में गरियाबंद के IFS वरुण जैन के गज संकेत ऐप की सराहना, अब छत्तीसगढ़ सहित छह राज्यों में हाथियों की ट्रैकिंग होगी।
गरियाबंद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित कलेक्टर,डीएफओ संयुक्त कॉन्फ्रेंस में गरियाबंद जिले का नाम एक बार फिर चमक उठा। इस कॉन्फ्रेंस में वन प्रबंधन, तेंदूपत्ता संग्राहकों के हित, लघु वनोपजों के मूल्य संवर्द्धन, ईको-टूरिज्म और औषधीय पौधों की खेती जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। लेकिन इसके अलावा चर्चा में रहा गरियाबंद वन अधिकारी वरुण जैन और उनकी टीम द्वारा तैयार किया गया इनोवेटिव गज संकेत ऐप।

गज संकेत ऐप 3 साल से हाथियों की हर चाल पर नज़र
गरियाबंद के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक IFS वरुण जैन और उनकी टीम के द्वारा विकसित इस ऐप से पिछले करीब 3 सालों से जंगलों में हाथियों की रियल टाइम ट्रैकिंग संभव हो सकेगी। खास बात यह है कि यह ऐप कम नेटवर्क वाले इलाकों में भी बेहतरीन तरीके से काम करता है। इस ऐप के बाद ग्रामीणों और वन विभाग दोनों को हाथियों की गतिविधियों की तुरंत जानकारी मिल रही है, जिससे मानव-हाथी संघर्ष पर नियंत्रण में काफी मदद मिली है ।
ऐप के बाद घटी मानव हाथी टकराव की घटनाएँ
गज संकेत ऐप की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसके लागू होने के बाद पिछले लगभग तीन सालों में केवल दो ही मानव जीव हानि के मामले सामने आए हैं। इनमें से भी एक हालिया घटना रविवार को हुई, जब छालों से परेशान एक हाथी ने गुस्से में आकर एक व्यक्ति पर हमला कर दिया। अधिकारियों का कहना है कि इस ऐप के आने के बाद मनुष्य और हाथी के बीच टकराव में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे जंगलों में शांति का वातावरण बना है।
सीएमओ छत्तीसगढ़ ने भी किया ट्वीट
सीएमओ छत्तीसगढ़ के आधिकारिक ट्विटर (X) अकाउंट से भी इस ऐप की तारीफ करते हुए लिखा गया
गज संकेत ऐप से हाथियों की ट्रैकिंग, वास्तविक समय में होगी निगरानी, कम नेटवर्क वाले क्षेत्रों में भी ट्रैकिंग संभव। क्षेत्रीय भाषाओं में भी ग्रामीणों को मिलेगी जानकारी।
छत्तीसगढ़ से देशभर में गूंजा गज संकेत
इस ऐप की सफलता को देखते हुए अब देश के छह अन्य राज्यों महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, कर्नाटक और एक अन्य राज्य में भी इसका उपयोग शुरू हो चुका है। वर्तमान में यह ऐप छत्तीसगढ़ के 14 वनमंडलों में लागू है, जिसे आने वाले समय में सभी वनमंडलों में लागू करने की योजना है।
गरियाबंद के ऐप की देशभर में गूंज
यह पहल न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक तकनीकी क्रांति है, बल्कि गरियाबंद के लिए गर्व का विषय भी है। स्थानीय स्तर पर विकसित एक इनोवेशन का राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जाना बताता है कि छत्तीसगढ़ अब टेक्नोलॉजी और संवेदना दोनों में अग्रणी है।
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