हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के गढ़फुलझर में हर साल आयोजित होने वाला गढ़ इसर गौरा महोत्सव सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। 17वीं सदी में गोंड राजा अनंतदेव नाग द्वारा निर्मित इस ऐतिहासिक गढ़ का महत्व, रानी महल, मानसरोवर तालाब, और नानकसागर के रूप में आज भी जीवित है। इस महोत्सव में सरायपाली, बसना, महासमुंद, बागबाहरा और आसपास के ओडिशा राज्य के श्रद्धालु भी हिस्सा लेते हैं। यह पूरे क्षेत्र के समुदायों के बीच एकता और भाईचारे को प्रोत्साहित करता है।
गढ़फुलझर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व ।
इतिहास से वर्तमान तक का सफर गढ़फुलझर का इतिहास 17वीं सदी के गोंड राजा अनंतदेव नाग से जुड़ा है, जिन्होंने इस गढ़ का निर्माण किया था। उनकी रानी के लिए बनाए गए रानी महल के पास आज भी रानी सागर गांव और मानसरोवर तालाब मौजूद हैं, जो इस गढ़ की प्राचीन महिमा को जीवित रखते हैं। उल्लेखनीय है कि गुरु नानक देव जी ने अपनी पुरी यात्रा के दौरान इस क्षेत्र में रात्रि विश्राम किया था, जिससे इस जगह का धार्मिक महत्व और बढ़ गया है।
आयोजन में हर साल कई बड़ी हस्तियां होती है शामिल ।
प्रमुख व्यक्तियों का योगदान इस वर्ष महोत्सव में कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति ने इसे और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया। राजा देवेन्द्र बहादुर सिंह, पूर्व मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, और बरतराम नागेश, केंद्रीय गोंड समाज अध्यक्ष, ने अपनी उपस्थिति से महोत्सव की शोभा बढ़ाई। उनके साथ मुनुसिंह जगत, घासी राम मांझी, और मनोहर सिंह ठाकुर जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया।
संस्कृति के संरक्षण की पहल गढ़ इसर गौरा महोत्सव न केवल प्राचीन परंपराओं को जीवित रखता है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सांस्कृतिक संरक्षण का संदेश देता है। यह आयोजन स्थानीय लोगों के लिए अपनी जड़ों से जुड़ने का एक अवसर है और युवाओं के लिए यह उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझने का माध्यम बनता है।