हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद जनपद पंचायत विवाद में नया मोड़। सूत्रों के अनुसार के.एस. नागेश नियम विरुद्ध तीन पदों पर बैठे रहे। एक से हटाए गए पर दो पर अब भी कायम। सचिवों की पदस्थापना विवाद पर चर्चा। सरपंच संघ का समर्थन मिलने के बाद प्रशासन बैकफुट पर दिखने की कोशिश कर रहा पढ़ें पूरी खबर पैरी टाईम्स पर ।
गरियाबंद जिले की पंचायत राजनीति और अफसरशाही में इन दिनों सबसे चर्चित नाम हैं के.एस. नागेश। नागेश साहब एक ही समय में तीन-तीन पदों पर कार्यरत रहे। नियमों के जानकार बताते हैं कि यह स्थिति पूरी तरह नियम विरुद्ध कही जा सकती है। शिकायतें बढ़ीं तो स्थानीय प्रशासन ने दबाव में आकर उन्हें एक पद से हटाया जरूर, लेकिन अभी भी वह दो पदों में नियम विरुद्ध पदस्थ है वे अब भी जनपद पंचायत सीईओ के अतिरिक्त प्रभार और प्रभारी जिला अंकेक्षक के पदों पर कायम हैं।

गरियाबंद जनपद पंचायत विवाद
गरियाबंद जनपद पंचायत विवाद नियमों के खिलाफ फैसले और सचिवों की पदस्थापना विवाद
सूत्रों का कहना है कि तीन पदों पर बैठे रहने के दौरान नागेश द्वारा कई नियम विरुद्ध कार्यों को अंजाम दिया गया। इनमें से एक आदेश 9 जून 2025 को जारी करवाया गया था पाँच सचिवों की अतिरिक्त पदस्थापना कर दी गई थी।बताया जाता है कि यह कदम जनपद पंचायत के प्रस्ताव के बिना उठाया गया, तत्कालीन जनपद सीईओ के प्रस्ताव के बिना ही सचिवों की पदस्थापना की गई हैं। जनपद पंचायत से जुड़े सूत्रों का कहना हैं कि बिना जनपद के प्रस्ताव के सचिवों पदस्थापना नहीं की जा सकती है ऐसा केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है।

सरपंच संघ के समर्थन की आड़ में प्रशासन बैकफुट पर ?
बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले को लेकर बीते दिनों गरियाबंद ब्लॉक सरपंच संघ के अध्यक्ष ने अपने लेटर में नागेश के समर्थन में पत्र लिखा है और उन्हें बेहतरीन अफसर बताया है। इसके अलावा यहां तक बता दिया कि प्रशासनिक कारणों से भले ही नागेश तृतीय श्रेणी पद पर हों, लेकिन उनका ज्ञान किसी वरिष्ठ अधिकारी से कम नहीं अब सवाल यह उठता है कि क्या सरपंच संघ का काम नियम पालन सुनिश्चित करना है या फिर अफसरों की ढाल बनना?
सूत्रों की मानें तो इस समर्थन पत्र के बाद जिले के अधिकारी इस पूरे मामले में बैकफुट में दिखाने की कोशिश कर रहा हैं। ताकि नागेश को नियम विरुद्ध उनके दो दो पदों पर रखा जा सके । या शायद इसलिए क्योंकि प्रशासन को बजरंग बली की तरह उनकी शक्ति का अहसास कराने वाला कोई नहीं है । गरियाबंद की जनता अब व्यंग्य करते हुए कह रही है । नागेश साहब का जलवा ही कुछ और है, नियम भी तोड़ेंगे और समर्थन पत्र भी मिल जाएगा। प्रशासन गलती सुधारने की बजाय समर्थन की छाया में उन्हें बचाने का प्रयास कर रहा है।
सचिव पदस्थापना पर नागेश का तर्क और विवाद
सूत्रों के अनुसार, 8 जून को हुए पाँच सचिवों की पदस्थापना को लेकर जब नागेश से सवाल पूछा गया कि बिना जनपद पंचायत प्रस्ताव के सचिवों की पद स्थापना कैसे की जा सकती है, तो उन्होंने कहा कि जिला पंचायत सीईओ को यह अधिकार है कि वह जनपद पंचायत के प्रस्ताव के बिना भी सचिवों की पदस्थापना कर सकते हैं।
हालांकि नियमों के जानकारों का कहना है कि यह कदम केवल विशेष परिस्थितियों में ही संभव है। मगर सूत्रों की मानें तो 8 जून को जारी आदेश में ऐसी कोई विशेष परिस्थिति नहीं थी। यही वजह है कि इस फैसले और नागेश की स्वच्छ छवि दिखाने के सरपंच संघ के समर्थन को लेकर अब सवाल और भी गहराते जा रहे हैं।
शिकायत और आगे की चर्चा
सूत्र बताते हैं कि जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने इस मामले को लेकर मुख्य सचिव तक शिकायत भेजी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन अपनी छवि सुधारने के लिए कड़े कदम उठाएगा या फिर सरपंच संघ के पत्र की आड़ में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
फिलहाल गरियाबंद की गलियों में यही चर्चा है । यहां कुर्सियों और समर्थन पत्र का जोड़ किसी भी नियम से ज्यादा ताकतवर साबित हो रहा है।
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