गरियाबंद जनपद पंचायत जहां नियमों से नहीं, मेहरबानी से चलती है कुर्सी जंहा फाइलों में नियम, कुर्सी पर नागेश, जिपं सीईओ बोले, देखना पड़ेगा ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

गरियाबंद जनपद पंचायत विवाद में तृतीय श्रेणी अराजपत्रित अधिकारी के.एस. नागेश को नियमों के विपरीत उप संचालक पंचायत और सीईओ का प्रभार दिया गया। संजय नेताम की शिकायत पर रायपुर से नोटिस आया, लेकिन सीईओ ने कहा उन्हें जानकारी ही नहीं है।पढ़ें पूरी खबर पैरी टाईम्स पर ।

गरियाबंद जिले की पंचायत राजनीति और अफसरशाही इन दिनों नागेश मॉडल के नाम से चर्चा में है। वजह है । के.एस. नागेश, जिनकी मूल पदस्थापना मैनपुर में है तृतीय श्रेणी अराजपत्रित अधिकारी हैं, उन्हें सीधे जनपद का उप संचालक पंचायत का प्रशासनिक प्रभारी और जनपद पंचायत गरियाबंद का वित्तीय एवं प्रशासनिक मुखिया बना दिया गया। अब सवाल ये है कि क्या नियम किताबों में लिखे जाते हैं या सिर्फ फाइलों की धूल झाड़ने के लिए रखे जाते हैं?

गरियाबंद जनपद पंचायत

गरियाबंद जनपद पंचायत

गरियाबंद जनपद पंचायत जहां नियम अलग, हकीकत अलग

वित्त विभाग का वित्त निर्देश क्रमांक 11/2003 कहता है केवल राजपत्रित अधिकारी ही कार्यालय प्रमुख और आहरण संवितरण अधिकारी हो सकते हैं। लेकिन गरियाबंद जिले में इस आदेश का ऐसा मखौल बना कि अराजपत्रित अधिकारी नागेश को ही कुर्सी पर बैठा दिया गया। इतना ही नहीं, 11 अप्रैल 2025 को आदिम जाति एवं पिछड़ा वर्ग विभाग ने स्पष्ट किया था कि अनुसूचित क्षेत्र की जनपद पंचायतों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी का पद द्वितीय श्रेणी का होता है। फिर भी गरियाबंद में तृतीय श्रेणी को टॉप सीट पर बिठा दिया गया। आखिर इतनी मेहरबानी क्यों? यही सवाल अब पूरे जिले में गूंज रहा है।नेताम की शिकायत और रायपुर का नोटिस

जि.पं. सदस्य संजय नेताम ने उठाएं सवाल

जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने इस पूरे खेल पर उंगली उठाई। उन्होंने आरोप लगाया कि नागेश न केवल नियम विरुद्ध प्रभारी बनाए गए, बल्कि अपनी पसंदीदा पंचायतों में सचिवों को तबादला और प्रभार भी देने लगे। शिकायत पर पंचायत संचालनालय रायपुर ने 28 जुलाई 2025 को नोटिस जारी किया।

सीईओ का जवाब मुझे जानकारी नहीं

जब इस पूरे मामले पर जिला पंचायत सीईओ प्रखर चंद्राकर से सवाल पूछा गया कि नोटिस जारी हुए एक माह से भी अधिक समय गुजर चुका है, तो अब तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई, तो उनका जवाब भी वही पुराना रटा-रटाया रहा

मुझे इस मामले में कोई जानकारी तो है, रायपुर से लेटर को देखना पड़ेगा।

अब जनता पूछ रही है कि जब प्रमुख अधिकारी ही अनजान बने बैठे हैं, तो फिर जांच और कार्रवाई की उम्मीद आखिर किससे की जाए?

माह भर पूर्व मिला लेटर मगर अब कार्यवाही नहीं जिससे जांच पर भी उठे सवाल

रायपुर संचनालय से संजय नेताम की शिकायत के आधार पर पंचायत संचालक ने 28 जुलाई को पत्राचार करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए थे कि उक्त मामले की जांच कर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही कर कार्यालय को अवगत कराया जाए। मगर एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई जांच नहीं की गई और ना ही कोई प्रतिवेदन ऊपर भेजा गया है जिससे अब इसमें कोई कार्यवाही न होना पूरे प्रकरण को संदेह के घेरे में खड़ा करता है।

सवालों के घेरे में अफसरशाही

अब बड़ा सवाल यही है कि जब 04 जुलाई 2023 को पंचायत विभाग ने साफ निर्देश दिया था कि सीईओ की अनुपस्थिति में प्रभार विकास विस्तार अधिकारियों को दिया जाए, तो फिर गरियाबंद में नागेश साहब को विशेष छूट क्यों? कहीं यह मामला सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही है या फिर किसी अदृश्य हाथ की मेहरबानी? जनता को अब सिर्फ जांच रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन फिलहाल गरियाबंद में पंचायत राजनीति की यही सबसे हॉट स्टोरी है।

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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