हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद: जिला अस्पताल में मरीजों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है, लेकिन अटेंडेंस रजिस्टर में डॉक्टरों की मौजूदगी बड़ी चालाकी से दर्ज हो रही है! जब महिला आयोग की सदस्य लक्ष्मी वर्मा और विधायक रोहित साहू अस्पताल के निरीक्षण पर पहुंचे, तो वहां के हालात देखकर हैरान रह गए।

डॉक्टर नहीं, पर अटेंडेंस जारी!
अस्पताल का हाल देखकर जेम्स बॉन्ड भी शरमा जाए! कई डॉक्टर हफ्तों से अस्पताल नहीं आए, फिर भी उनकी हाजिरी दर्ज हो रही है। कुछ डॉक्टरों की सीटें खाली पड़ी थीं, लेकिन उनके साइन पहले से लगे थे। अब यह सरकारी सिस्टम का चमत्कार है या भ्रष्टाचार की मिसाल, यह तो जांच का विषय है!
विधायक का आदेश – “शो-कॉज नोटिस जारी करो!”
अस्पताल की दुर्दशा पर विधायक रोहित साहू ने तत्काल शो-कॉज नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। हालांकि, स्थानीय लोग कह रहे हैं कि यहां सिर्फ नोटिस से कुछ नहीं होगा, बल्कि सीधी कार्रवाई होनी चाहिए। कुछ जनप्रतिनिधि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत करने की तैयारी में हैं।
श्वेता शर्मा ने लगाई क्लास, दिए कड़े निर्देश!
महिला आयोग की सदस्य और विधायक दिखे शांत,मगर अस्पताल पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्वेता शर्मा दिखी अपने चिरपरिचित अंदाज में
निरीक्षण के दौरान जहां विधायक और महिला आयोग की सदस्य शांत दिखे, वहीं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्वेता शर्मा ने जिला अस्पताल में फैली अव्यवस्था को देखकर अपने चिर परिचित अंदाज में अधिकारियों की जमकर क्लास ली। उनकी नाराजगी इतनी तीव्र थी कि अस्पताल के कर्मचारी सिर झुकाकर सुनते रहे। उन्होंने साफ कहा कि अब यह लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
डॉक्टर नदारद, लेकिन सैलरी जारी!
सूत्रों के अनुसार, कुछ डॉक्टर महीनों से अस्पताल नहीं आए, फिर भी उनकी तनख्वाह पूरी जारी हो रही है।
- डॉ. महावीर अग्रवाल और डॉ. निशा नवरत्न को मरीजों ने वर्षों से अस्पताल में नहीं देखा। न ओपीडी पर्चियां बनती हैं, न वे नियमित रूप से आते हैं, लेकिन हर महीने पूरी सैलरी लेते हैं!
- एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र चौधरी को रोज अस्पताल आना चाहिए, लेकिन वह 8-10 दिन में एक बार आते हैं और फिर भी पूरी तनख्वाह उठाते हैं।
(यह जानकारी विश्वस्त सूत्रों से मिली है, लेकिन Pairi Times 24×7 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
“बायोमेट्रिक मशीन लगाओ, हाजिरी का खेल बंद करो!”
विधायक ने जिला चिकित्सा अधिकारी को जल्द से जल्द बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाने के निर्देश दिए हैं। मगर जनता को डर है कि कहीं यह भी सिर्फ एक घोषणा बनकर न रह जाए!
👉 गरियाबंद को जिला बने 12 साल, अस्पताल जस का तस!
लोगों का सवाल है कि जब गरियाबंद को जिला बने 12 साल हो चुके हैं, तो स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार क्यों नहीं हुआ? डॉक्टरों की लापरवाही और सरकारी तंत्र की मिलीभगत से मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। अब देखना यह है कि क्या बायोमेट्रिक सिस्टम और नोटिस से अस्पताल की व्यवस्था सुधरेगी, या फिर यह भी नेताओं की नई नौटंकी साबित होगी?