हिमांशु साँगाणी/गरियाबंद
गरियाबंद, 24 अक्टूबर: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की पुरानी सेवा गणना और अन्य लंबित मांगों को लेकर सरकार की उदासीनता अब बड़े आंदोलन का रूप ले रही है। “छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा” के बैनर तले 24 अक्टूबर को जिलेभर के शिक्षक सामूहिक अवकाश लेकर जिला मुख्यालय गरियाबंद में धरना, प्रदर्शन और रैली करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने उनकी जायज़ मांगों को लंबे समय से नजरअंदाज किया है, जिससे वे अब सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं।
शिक्षकों की प्रमुख मांगों में पुरानी सेवा गणना, वेतन विसंगति, क्रमोन्नति, पुरानी पेंशन योजना की बहाली और महंगाई भत्ते का समय पर भुगतान शामिल हैं। शिक्षक मोर्चा के जिला संयोजक परमेश्वर निर्मलकर, कुमेन्द्र कश्यप, प्रदीप पाण्डेय और अन्य शिक्षकों ने बताया कि सरकार ने बार-बार आश्वासन देने के बावजूद इन मुद्दों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे शिक्षकों में गहरा असंतोष है। अब तक हजारों शिक्षकों ने सामूहिक अवकाश का आवेदन दे दिया है, और इस दिन स्कूलों में ताले लटकेंगे।
शिक्षकों का कहना है कि सरकार शिक्षकों की समस्याओं को हल्के में ले रही है, जबकि उनकी मांगें न केवल शिक्षकों के हित में हैं, बल्कि इससे शिक्षा व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। पुरानी सेवा गणना से जुड़े मुद्दे, जैसे वेतन विसंगति और क्रमोन्नति, सीधे तौर पर शिक्षकों की नौकरी की स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा से जुड़े हैं। अगर सरकार इन मांगों को जल्द पूरा नहीं करती, तो यह शिक्षकों के मनोबल को और गिरा सकता है, जिसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ेगा।
इस आंदोलन में शिक्षक न केवल अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं, बल्कि सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षकों को उनके अधिकारों से वंचित रखना सरकार की नाकामी है, और यह उदासीन रवैया उन्हें अब बर्दाश्त नहीं है। शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा, जिससे सरकार पर और दबाव बढ़ेगा।
24 अक्टूबर को जिलेभर के शिक्षक एकजुट होकर मुख्यालय में रैली निकालेंगे और सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे।