हिमांशु साँगाणी /=गरियाबंद
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ की धर्मनगरी राजिम, जो अपनी आध्यात्मिक पहचान के लिए प्रसिद्ध है, अब अवैध शराब बिक्री के लिए बदनाम होती जा रही है। गांव-गांव में अवैध चखना दुकानों का जाल फैल चुका है। सरकारी तंत्र की आंखों के सामने यह धंधा फल-फूल रहा है, जिससे न केवल सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि समाज को भी अंधकार की ओर धकेला जा रहा है।
धर्मनगरी या अवैध शराब का गढ़?
राजिम और उसके आसपास के गांवों जैसे कुणाल ढाबा, कुंडेल, बोरसी, जोगी डीपा, और बेलर में अवैध शराब बिक्री आम बात हो चुकी है। स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन हर बार आबकारी विभाग की कार्यवाही कागजों तक सीमित रह गई। धार्मिक और सामाजिक मंचों पर इस मुद्दे को बार-बार उठाया गया, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने हमेशा अपनी आंखें मूंद लीं।
रेड के नाम पर दिखावा
पिछले एक साल में कई बार अवैध शराब के खिलाफ रेड हुईं, लेकिन हर बार आरोपियों को बचा लिया गया। जब्त शराब को “लावारिस” घोषित करके केस बंद कर दिया गया। सवाल यह है कि अगर आरोपी नहीं पकड़े गए, तो इतनी शराब यहां आई कैसे? यह लापरवाही या मिलीभगत, जो भी हो, अवैध शराब माफियाओं को खुला मैदान दे रही है।
सरकारी दुकानों का बंद होना, अवैध चखना सेंटर का बढ़ना
राजिम सर्कल में कभी हर महीने लाखों का राजस्व देने वाली सरकारी चखना दुकानें अब बंद हो चुकी हैं। राजिम, फिंगेश्वर और बासीन की दुकानों के बंद होने से सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हो रहा है। वहीं, इन दुकानों की जगह निजी चखना सेंटर अवैध शराब बिक्री के अड्डे बन गए हैं, जो स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत का संकेत देते हैं।
कौन है जिम्मेदार?
ग्रामीणों का कहना है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों की सीधी अनदेखी के कारण यह धंधा फल-फूल रहा है। सवाल यह है कि सरकारी राजस्व को चूना लगाने वाली इन गतिविधियों पर कब सख्त कार्रवाई होगी?
निजी लाभ, सार्वजनिक नुकसान
इस अवैध धंधे से केवल माफिया और कुछ भ्रष्ट अधिकारियों को फायदा हो रहा है। वहीं, सरकारी तंत्र का विश्वास और स्थानीय युवाओं का भविष्य दांव पर है। आखिर कब प्रशासन इस गहरी साजिश को समझेगा और धर्मनगरी को इस कलंक से मुक्त करेगा?
अब जरूरत है जागरूकता और सख्त कदम उठाने की।
राजिम के लोगों की मांग है कि इन अवैध गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाई जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। क्या प्रशासन इस पुकार को सुनेगा? या धर्मनगरी अपनी पहचान खोने को मजबूर होगी?