हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
गरियाबंद। पीडीएस के चावल की कालाबाजारी की खबर के बाद चावल-धान की कालाबाजारी पर प्रशासन हरकत में आया, लेकिन दिशा में थोड़ी गड़बड़ी हो गई। हमारी 23 दिसंबर की खबर का असर तो हुआ, लेकिन असर के सटीक ठिकाने पर पहुंचने से पहले ही प्रशासन ने 8 किलोमीटर दूर नागाबुड़ा गांव में छापा मार दिया। नागाबुड़ा के देवांगन ट्रेडर्स से 35 बोरी (17.5 क्विंटल) अवैध चावल और 49 बोरी (19.6 क्विंटल) अवैध धान जब्त किया गया। हालाकिं आज गरियाबंद की फिजा कुछ बदली बदली जरूर दिखी । शासकिय उचित मूल्य की दुकान जरूर खुली मगर आसपास स्थित चावल की खरीदी बिक्री की दुकानें आज शाम तक बंद देखी गई ।

मुख्यालय पर ‘शांति,’ नागाबुड़ा में ‘क्रांति’
यह घटना साबित करती है कि प्रशासनिक कार्रवाई की प्राथमिकता सूची में नागाबुड़ा ‘टॉप पर’ है और जिला मुख्यालय शायद ‘ड्राफ्ट मोड’ में। मुख्यालय में जहां बड़े व्यापारी कथित तौर पर पीडीएस चावल और धान की खुल्लमखुल्ला कालाबाजारी कर रहे हैं, वहां अब भी ‘संवेदनशीलता और अध्ययन’ का माहौल बना हुआ है।
प्रशासन का ‘स्पॉटलाइट’ इफेक्ट,आखिर गांव ही क्यूं ?
खाद्य निरीक्षक रितु मौर्य की टीम ने नागाबुड़ा पर धावा बोला, जबकि मुख्यालय के बड़े कालाबाजारी आराम से अपने व्यापार में व्यस्त रहे। यह देखकर जनता सवाल कर रही है कि क्या मुख्यालय पर ‘कालाबाजारी’ को ‘कलात्मक व्यापार’ मान लिया गया है? या प्रशासन मानता है कि मुख्यालय में कार्रवाई करने से ‘शहर की शांति’ भंग हो सकती है?
खबर का असर: परिणाम आधा, सवाल पूरा,जनता की उम्मीदें
इस कार्रवाई के बाद जनता का प्रशासन पर भरोसा तो थोड़ा बढ़ा, लेकिन सवाल उठे: “मुख्यालय में कार्रवाई क्यों नहीं? क्या वहां के बड़े व्यापारी ‘इंविजिबल क्लोक’ पहनकर बैठे हैं?”
अब जनता प्रशासन से यह उम्मीद कर रही है कि अगली कार्रवाई मुख्यालय में होगी। लेकिन यह कब होगी, इसे लेकर भविष्यवाणी करना मुश्किल है। नागाबुड़ा की यह ‘प्रेरणादायक कार्रवाई’ मुख्यालय तक पहुंचेगी या नहीं, यह देखना बाकी है।
फोन कॉल्स साइलेंट मगर ‘खेल’ जारी
खाद्य अधिकारी सुधीर गुरु से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन दो बार फोन करने पर भी कॉल रिसीव नहीं हुई।