इलाज के नाम पर हैवानियत की हदें पार: 18 साल की मासूम के सीने पर चढ़-चढ़ कर करती थी महिला ‘उपचार’, पोस्टमार्टम में टूटी मिलीं हड्डियां

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

इलाज के नाम पर हैवानियत की हदें पार धर्मांतरण के लिए दबाव, शैतान का डर और इलाज के नाम पर क्रूरता! सुरसाबांधा में 18 साल की योगिता सोनवानी की संदिग्ध मौत के पीछे खुली बर्बरता की सच्चाई। पोस्टमार्टम में सामने आया सीने की हड्डी टूटने और ब्लीडिंग से मौत का खुलासा।

गरियाबंद जिले के सुरसाबांधा गांव से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ मानवता को शर्मसार किया बल्कि ‘इलाज’ के नाम पर चल रहे धर्मांतरण और हैवानियत के गोरखधंधे का पर्दाफाश कर दिया। 18 वर्षीय मासूम योगिता सोनवानी की मौत का मामला जितना चौंकाने वाला है, उतना ही सवालों से घिरा हुआ भी।

इलाज के नाम पर हैवानियत की हदें पार चमत्कारी इलाज के नाम पर 3 महीने तक चला डर, धमकी और दर्द का खेल

योगिता की मां सुनीता सोनवानी ने थाने में जो लिखित शिकायत दी है, वो किसी हॉरर स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। दावा किया गया कि सुरसाबांधा की एक महिला ईश्वरी साहू, जो स्वयं को चमत्कारी आयुर्वेदिक चिकित्सक बताती है, उसने मासूम को शैतान के डर का हवाला देकर अपने घर में बंदी बनाकर रखा और इलाज के नाम पर सीने पर चढ़-चढ़कर पैरों से दबाव डालती रही।

इलाज के नाम पर हैवानियत की हदें पार

इलाज के नाम पर हैवानियत की हदें पार

धर्म परिवर्तन के लिए शैतान का डर, पैरों से मालिश नहीं—प्रताड़ना थी!

बोलती थी “ईसा मसीह पर भरोसा रखो, सब ठीक होगा”, और साथ ही शर्त ये कि ठीक होने के बाद तुम ईसाई धर्म अपनाओगी। प्रार्थना सभाएं, बाइबिल पाठ और ‘तेल-मालिश’ जैसे तमाशे 3 महीने तक चले। योगिता की हालत बिगड़ती रही, मगर मां को डराया गया कि “प्रभु नाराज़ हो जाएंगे” अगर किसी को बताया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा टूटीं हड्डियां, बहा खून, मौत कार्डियक अरेस्ट से

गरियाबंद जिला अस्पताल के डॉ. एम.एस ठाकुर के मुताबिक, योगिता की छाती की हड्डी टूटी हुई पाई गई, जिससे अत्यधिक ब्लीडिंग हुई और अंततः कार्डियक अरेस्ट से मौत हुई। यह घटना 22 मई को हुई, मगर FIR के लिए परिजनों को आधी रात तक थाने के चक्कर काटने पड़े।

अब पुलिस ने ईश्वरी साहू को हिरासत में ले लिया है और छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2006 और औषधि चमत्कारिक उपचार अधिनियम, 1954 के तहत केस दर्ज किया गया है।

अकेली नहीं थी योगिता चार और लड़कियों का भी हुआ ‘चमत्कारी इलाज’

खुलासा हुआ है कि योगिता सोनवानी अकेली शिकार नहीं थी। ईश्वरी साहू के तथाकथित ‘इलाज’ का शिकार कम से कम चार और लड़कियां बनी हैं, जिन्हें अलग-अलग समय पर उसके घर लाया गया। इन लड़कियों से भी ईसा मसीह के नाम पर प्रार्थनाएं कराई जाती थीं, और शरीर पर पैर रखकर दबाव देने जैसी हरकतें दोहराई जाती थीं। परिजन अब सामने आने से डर रहे हैं लेकिन Pairi Times 24×7 को सूत्रों से मिली जानकारी इस बात की पुष्टि करती है कि यह सिलसिला सिर्फ एक योगिता तक सीमित नहीं था।

Pairi Times 24×7 की टिप्पणी

क्या ‘इलाज’ अब नए धर्मांतरण का जरिया बन गया है? क्या शैतान का डर दिखाकर किसी की बेटी को मौत के हवाले किया जा सकता है? यह मामला एक मिसाल है कि धर्म के नाम पर चल रहे ढोंग की कितनी खौफनाक कीमत चुकानी पड़ती है।

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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