हिमांशु साँगाणी/गरियाबंद
गरियाबंद छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर में स्थित मौली माँ का मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और चमत्कारों के लिए जाना जाता है। इस बार भी दशहरे के खास मौके पर श्रद्धालुओं का सैलाब यहाँ उमड़ेगा, क्योंकि यहां का शाही दशहरा विजयदशमी के बाद तेरस को मनाया जाता है। इस परंपरा की शुरुआत राजा मनमोहन सिंह के समय से मानी जाती है, जब उन्हें माँ मौली ने स्वप्न में दर्शन दिए थे और यहाँ अपनी स्थापना करवाई थी।
प्राचीन कथा के अनुसार, राजा मनमोहन सिंह के फिंगेश्वर आने के दौरान एक बुजुर्ग स्त्री ने उनसे मुलाकात की और सफेद घोड़े पर सवार होकर रहस्यमयी ढंग से गायब हो गईं। बाद में वही स्त्री स्वप्न में प्रकट होकर खुद को बस्तर की मौली माँ बताया और फिंगेश्वर में रहने के लिए झोपड़ी जैसा मंदिर बनवाने को कहा। तब से आज तक माँ मौली इस साधारण झोपड़ी में विराजमान हैं, और श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं यहाँ आकर पूरी होने का विश्वास रखते हैं।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, जो भी श्रद्धालु यहाँ सच्चे मन से मनोकामना लेकर आता है, उसकी मुराद पूरी होती है। यही कारण है कि हर साल हजारों की संख्या में लोग यहाँ पूजा अर्चना करने आते हैं। इस नवरात्रि में मंदिर परिसर में 1307 दीप प्रज्वलित किए गए, जो भक्तों की आस्था और उत्साह को दर्शाता है।
शाही दशहरे के इस खास मौके पर फिंगेश्वर नगर को भव्य तरीके से सजाया गया है। राजा महेंद्र बहादुर सिंह की अगुवाई में भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें प्राचीन अस्त्र-शस्त्र के साथ लोग शामिल होंगे। यह अनूठा दशहरा उत्सव सोमवार को मनाया जाएगा, जिसमें दूर-दराज से हज़ारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है ।