हिमांशु साँगाणी /गरियाबंद
गरियाबंद छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था पर महंगाई का बढ़ता दबाव गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। देशभर में खुदरा महंगाई अक्टूबर में 6.21% पर पहुंच गई, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6% के ऊपरी सहनीय स्तर को पार कर गई है। यह बीते 14 महीनों में सबसे ऊंचा स्तर है। खासतौर पर छत्तीसगढ़ में यह बढ़ोतरी और भी अधिक स्पष्ट है। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल में राज्य की महंगाई दर लगभग चार गुना बढ़ी है, जो राष्ट्रीय औसत से भी अधिक तेजी से बढ़ी हुई है।
सब्जियों की कीमतों ने बढ़ाई चुनौतियां ।
अक्टूबर 2024 में सब्जियों की कीमतों में 42.18% की वृद्धि देखी गई, जो राज्य में खुदरा महंगाई को ऊपर खींचने का मुख्य कारण बनी। बेमौसम बारिश ने टमाटर और प्याज जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित की, जिससे कीमतों में उछाल आया। खाने-पीने की चीजों पर इस बढ़ी हुई महंगाई का असर सीधे घरेलू खर्चों और बाजार की मांग पर पड़ रहा है, जिससे स्थानीय व्यापारियों को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
राज्यों में महंगाई की तुलना ।
एसबीआई रिसर्च के अनुसार, जहां छत्तीसगढ़ में महंगाई दर सबसे अधिक तेजी से बढ़ी है, वहीं मध्य प्रदेश में यह वृद्धि लगभग 3% रही। इसके विपरीत, राजस्थान ऐसा राज्य है जहां महंगाई दर में कमी देखी गई। यह स्थिति छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिए चेतावनी है, जहां बढ़ती महंगाई व्यापारिक गतिविधियों और उपभोक्ता खर्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति और चुनौतियां ।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा कि आरबीआई ने विकास को गति देने के लिए नरम मौद्रिक नीति रुख अपनाया है। हालांकि, ब्याज दरों में कटौती की संभावना फिलहाल कम है, क्योंकि महंगाई के बढ़ते जोखिम अभी भी बरकरार हैं। छत्तीसगढ़ की बढ़ती महंगाई को देखते हुए, राज्य सरकार और स्थानीय व्यापारिक संगठनों को इस स्थिति से निपटने के लिए विशेष रणनीति की जरूरत है।
छत्तीसगढ़ में महंगाई के इस बढ़ते स्तर ने घरेलू और व्यावसायिक दोनों स्तरों पर आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है। सब्जियों और अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि ने आम उपभोक्ताओं के बजट पर असर डाला है, जो आगामी महीनों में स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां पेश कर सकता है।