जिला जेल गरियाबंद का निरीक्षण कैदी की व्यथा पत्नी का साया नहीं, बच्चों की देखभाल कौन करेगा?

Photo of author

By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

जिला जेल गरियाबंद के निरीक्षण में नाबालिग बंदी नहीं मिले, लेकिन एक कैदी की व्यथा ने सबको झकझोर दिया। पत्नी की मौत के बाद बच्चों की देखभाल का जिम्मा कौन उठाएगा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट Pairi Times 24×7 पर।

20250930_110618
20250930_110551
20250930_110528
previous arrow
next arrow

गरियाबंद सुप्रीम कोर्ट और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देशों पर चल रहे जेल निरीक्षण अभियान ने बुधवार को गरियाबंद जिला जेल का रुख किया। कागज़ों में यह महज़ एक औपचारिक प्रक्रिया लग सकती है, लेकिन हकीकत में इसमें मानवीय संवेदनाओं का समंदर छिपा हुआ है। जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक कुमार पाण्डेय और बाल संरक्षण अधिकारी अनिल द्विवेदी के मार्गदर्शन में बनी समिति ने पाँच बैरकों का निरीक्षण किया। समिति में किशोर न्याय बोर्ड की पूर्णिमा तिवारी, बाल कल्याण समिति की ताकेश्वरी साहू, अधिवक्ता हेमराज दाऊ, सामाजिक कार्यकर्ता लता नेताम और विधिक सह परिविक्षा अधिकारी शरदचंद निषाद शामिल रहे।

जिला जेल गरियाबंद

जिला जेल गरियाबंद में उम्र की पड़ताल और राहत की खबर

निरीक्षण में यह राहत भरी जानकारी सामने आई कि 18 वर्ष से कम आयु का कोई भी नाबालिग बंदी जेल में निरुद्ध नहीं है। यानी, अदालत और आयोग की सख्ती का असर अब जमीन पर दिखने लगा है।

कैदी की पीड़ा, बच्चे बने सवाल

लेकिन इसी बीच एक कैदी की व्यथा ने पूरे माहौल को भावुक कर दिया। उसने बताया कि उसकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है और घर पर बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। सवाल यह उठा कि जब पिता जेल की सलाखों में है तो मासूम बच्चों का भविष्य किसके भरोसे होगा? समिति ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बच्चों के संरक्षण और पालन-पोषण के लिए उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया।

योजनाओं का सहारा, बच्चों को मिल रही नई उम्मीद

पूर्व निरीक्षण में दो बच्चों को सरकार की स्पॉन्सरशिप योजना से लाभ दिलाने की अनुशंसा की गई थी। यह पहल इस बात का प्रमाण है कि शासन की योजनाएँ सिर्फ़ कागज़ों तक सीमित नहीं, बल्कि जरूरतमंद बच्चों तक पहुँच रही हैं और उनके भविष्य को नई दिशा देने का कार्य कर रही हैं

सुलगते सवाल

जेल निरीक्षण रिपोर्टें तो हर तिमाही में बनती हैं, लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा कि जेल में सजा काट रहे पिता के साथ-साथ उसके बच्चे भी अनजानी सजा भुगत रहे हैं? सलाखों के भीतर कैदी, और बाहर भूख-प्यास से जूझते नन्हें आख़िर जिम्मेदारी किसकी है?

यह भी पढ़ें ….. नवरात्र विशेष भारत का इकलौता मंदिर एक दिए में दो ज्योत जलने का चमत्कार ।

कृपया शेयर करें

अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

लगातार सही खबर सबसे पहले जानने के लिए हमारे वाट्सअप ग्रुप से जुड़े

Join Now

Join Telegram

Join Now

error: Content is protected !!