हिमांशु साँगाणी/गरियाबंद
गरियाबंद। फिंगेश्वर में 37 करोड़ की लागत से बन रहे वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण करने पहुंचे डिप्टी सीएम अरुण साव ने स्पष्ट कर दिया कि निर्माण कार्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार की यह सख्ती वाकई जमीनी स्तर पर बदलाव लाएगी, या फिर यह सिर्फ एक औपचारिक चेतावनी बनकर रह जाएगी?

निरीक्षण के दौरान क्या हुआ?
डिप्टी सीएम ने मौके पर पहुंचकर निर्माण कार्य की गति और गुणवत्ता की समीक्षा की। अधिकारियों ने बताया कि अब तक 60% काम पूरा हो चुका है और ₹15 करोड़ का भुगतान भी किया जा चुका है। हालांकि, निर्माण की गुणवत्ता और समयसीमा को लेकर सरकार की चिंता बनी हुई है।
विकास बनाम देरी: क्या समय पर पूरा होगा प्रोजेक्ट?
छत्तीसगढ़ में कई बड़े विकास कार्य लंबित रहने की पुरानी समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में फिंगेश्वर के इस वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर जनता के मन में सवाल उठ रहे हैं—
क्या यह प्रोजेक्ट तय समय पर जून 2025 तक पूरा होगा?
क्या ठेकेदार और अधिकारी इस बार वाकई गुणवत्ता पर ध्यान देंगे?
या फिर यह योजना भी लंबित सरकारी परियोजनाओं की सूची में शामिल हो जाएगी?
क्या इस बार होगा एक्शन?
डिप्टी सीएम ने साफ कहा कि अगर निर्माण कार्य में लापरवाही हुई तो कड़ी कार्रवाई होगी। लेकिन जनता का अनुभव यही कहता है कि ऐसी चेतावनियां पहले भी दी जाती रही हैं, पर अमल कितनी बार हुआ?
3 हजार परिवारों को शुद्ध जल मिलेगा, लेकिन कब?
फिंगेश्वर में 3 हजार परिवारों को इस प्रोजेक्ट से शुद्ध पेयजल मिलने की उम्मीद है। सरकार इसे एक बड़ी उपलब्धि बता रही है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता, तब तक दावे और हकीकत के बीच का अंतर बना रहेगा।
क्या यह निरीक्षण सिर्फ औपचारिकता थी, या वाकई इस बार कुछ अलग होगा?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि डिप्टी सीएम की सख्ती वास्तविक सुधार लाती है या फिर यह दौरा भी बाकी निरीक्षणों की तरह कुछ फाइलों तक ही सीमित रह जाता है। जनता को नतीजों का इंतजार रहेगा!