रिपोर्टर पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
खाकी का ऑपरेशन दिल जीतो गरियाबंद पुलिस का ऑपरेशन दिल जीतो नक्सल गांव में पुलिस डॉक्टर बनी, बच्चों को बैग मिले और माओवादियों को सरेंडर ऑफर दिया गया पढ़ें पूरी खबर पैरी टाईम्स पर ।
गरियाबंद पुलिस का नाम सुनते ही अगर आपके दिमाग में सिर्फ लाठी, चालान और अंदर करने की धमकी आती है, तो अपनी सोच को अपडेट कर लीजिए। गरियाबंद पुलिस आजकल एक नए अवतार में है। इस बार पुलिस का ऑपरेशन किसी अपराधी के खिलाफ नहीं, बल्कि सीधे ग्रामीणों का दिल जीतने के लिए था। जी हाँ, एसपी निखिल राखेचा के नेतृत्व में खाकी वर्दी वालों ने नक्सल प्रभावित ग्राम मटाल एवं राजाडेरा में ऐसा ऑपरेशन दिल जीतो चलाया कि ग्रामीण भी हैरत में पड़ गए। पुलिस की गाड़ियां जब गांव पहुंचीं, तो लोग सहमे नहीं, बल्कि उत्सुक थे, क्योंकि इस बार पुलिस वारंट लेकर नहीं, बल्कि गिफ्ट लेकर आई थी।

खाकी का ऑपरेशन दिल जीतो जब पुलिस बनी डॉक्टर
इस ऑपरेशन का सबसे दिलचस्प हिस्सा था पुलिस का डबल रोल।
- डॉक्टर बनी पुलिस गरियाबंद पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग को साथ लेकर एक निःशुल्क मेडिकल कैम्प का आयोजन किया। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मैनपुर के डॉक्टर चमन कण्ड्रा और उनकी टीम ने ग्रामीणों का फुल बॉडी चेकअप किया और मुफ्त में दवाइयां भी बांटीं। मतलब, जो पुलिस कल तक चोट देने के लिए जानी जाती थी, वो आज चोट पर मरहम लगा रही थी।
- सांता क्लॉज बनी पुलिस यह सिर्फ हेल्थ कैंप नहीं था, यह गिफ्ट फेस्ट भी निकला। एसपी साहब ने बच्चों को स्कूल बैग, चॉकलेट, बिस्किट दिए और महिलाओं व ग्रामीणों को शॉल एवं साड़ियाँ भेंट कीं। बच्चों की खुशी देखकर लगा मानो पुलिस ने क्रिसमस समय से पहले ही मना लिया हो।
जनता दरबार में बिजली-पानी का मुद्दा भी उठा
एसपी निखिल राखेचा किसी अफसर की तरह दूर नहीं बैठे, बल्कि ग्रामीणों के बीच बैठकर चाय पर चर्चा की। ग्रामीणों ने भी मौका देखकर अपनी सारी तकलीफ साझा करनी शुरू दी। उन्होंने बिजली, पानी, स्कूल भवन जैसी मूलभूत समस्याओं का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया। एसपी साहब ने भी धैर्य से सब सुना और आश्वासन दिया कि वे संबंधित विभागों के साहबों से बात करके जल्द ही इन समस्याओं का कुछ न कुछ हल जरूर निकालेंगे।
माओवादियों को स्पेशल सरेंडर ऑफर
इस सेवा भाव के बीच गरियाबंद पुलिस अपना असली मकसद नहीं भूली। पूरे तामझाम के साथ नक्सलियों को भी एक स्पेशल ऑफर दिया गया। शासन की आत्मसमर्पण नीति का हवाला देते हुए, पुलिस ने भटके हुए माओवादी साथियों को हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का खुला निमंत्रण दिया।
सरेंडर के लिए सीधा संपर्क करे
गांव में जगह-जगह पोस्टर चिपकाए गए, जिन पर एक मोबाइल नंबर (94792-27805) भी लिखा था। संदेश साफ था- अगर घर वापसी का मन हो, तो हथियार लेकर सीधे थाने आ जाओ, सरकार आपकी मदद करेगी। कुल मिलाकर, गरियाबंद पुलिस का यह ऑपरेशन दिल जीतो एक तीर से दो निशाने लगाने जैसा था। एक तरफ ग्रामीणों का दिल जीतकर उनमें सुरक्षा का भाव भरा गया, तो दूसरी तरफ नक्सलियों को भी प्यार से समझा दिया गया कि सरेंडर का ऑप्शन अभी खुला है।


