हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद का मालगांव बना प्रेरणा का केंद्र, जहां हर शुभ अवसर पर होता है रक्तदान। पढ़िए समृद्धि ब्लड बैंक के भीम निषाद और मालगांव की दिल छू लेने वाली कहानी।
गरियाबंद छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित एक छोटा सा गांव आज पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बनकर उभरा है। रक्तदान दिवस के अवसर पर हम बात कर रहे हैं मालगांव की, जहां हर शुभ अवसर का आरंभ रक्तदान से किया जाता है। यहां जन्मदिन, सालगिरह या शादी जैसे खास मौकों पर लोग केक काटने से पहले ब्लड बैंक पहुंचते हैं। यही नहीं, गांव में अक्सर कैंप लगाकर सामूहिक रक्तदान किया जाता है, जिससे जरूरतमंदों को समय पर खून मिल सके।

गरियाबंद का मालगांव बना प्रेरणा
गरियाबंद का मालगांव बना प्रेरणा भीम निषाद और समृद्धि ब्लड बैंक की अनोखी पहल
इस जागरूकता अभियान की शुरुआत की थी गांव के ही समाजसेवी और जनपद सदस्य भीम निषाद ने। जब सालों पहले उनकी बहन को खून की जरूरत पड़ी थी और बड़ी मुश्किल से ब्लड मिला तभी से उन्होंने ठान लिया कि अब गांव में खून की कमी किसी की जान न ले।भीम निषाद ने समृद्धि ब्लड बैंक के नाम से एक ग्रुप बनाया, जो अब तक 500 से ज्यादा यूनिट रक्त दान कर चुका है। उनकी प्रेरणा से गांव के युवा, महिलाएं और बुजुर्ग भी ब्लड डोनर बन चुके हैं।

युवाओं से लेकर दिव्यांग तक, सबकी अपनी प्रेरणादायक कहानी
भीम निषाद के 30 वर्षीय भतीजे ने अब तक 30 बार रक्तदान किया है। कस निवासी चम्पेश्वर ध्रुव जो एक हादसे में अपना पैर खो चुके हैं, अब नियमित ब्लड डोनर हैं। अब तक 18 बार बल्ड दे चुके है आज 19 वी बार देंगे इसके साथ ही आज वे अपनी आँखें भी दान करेंगे । उनके एक भाई ने 23 बार और एक भाई ने 10 बार ब्लड डोनेट किया है उन्होंने बताया कि जब उन्हें खुद ब्लड की जरूरत थी और समय पर खून नहीं मिला तभी उन्होंने ये प्रण लिया कि दूसरों को समय पर जीवनदायी मदद देंगे। गांव के कई परिवारों में अब रक्तदान एक परंपरा बन चुकी है । कुछ इसे सामाजिक जिम्मेदारी मानते हैं, तो कुछ इसे खुशी का हिस्सा।
सभी रक्तदाताओं की अलग अलग है सोच लेकिन मकसद एक ही …लोगों की जान बचाना
मालगांव में रक्तदान को लेकर लोगों की सोच भले ही अलग-अलग हो, लेकिन इसके पीछे की कहानियां गहराई से जुड़ी हैं। किसी ने खुद के ऑपरेशन के वक्त कई बोतल खून दूसरों से पाकर जीवनदान पाया, तो अब वे उसे “उधार” मानकर हर मौके पर रक्तदान करते हैं। उनका बेटा भी अब तक 10 बार खून दे चुका है। वहीं, गांव के एक बच्चे को ब्लड कैंसर होने पर करीब 60 से 70 बोतल खून की आवश्यकता पड़ी थी। उस समय पूरे गांव ने एकजुट होकर रक्त एकत्र किया था। तब से उस परिवार ने भी रक्तदान को जीवन का हिस्सा बना लिया है। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो दूसरों को देखकर प्रेरित होते हैं और फिर नियमित रूप से रक्तदान करने लगते हैं।

रक्तदान को लेकर नई सोच की मिसाल बना मालगांव
मालगांव के लोग यह संदेश देते हैं कि रक्तदान न सिर्फ जीवन बचाता है, बल्कि समाज को जोड़ने का भी जरिया है। यहां की सोच बताती है कि छोटा सा गांव भी बड़ा बदलाव ला सकता है – जरूरत है तो बस पहल की।
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