हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
फर्जी शिक्षा कर्मी भर्ती मामला घोटाले में 3 गिरफ्तार, 183 पर नजर, लबे समय से हो रही शिकायत के बाद उठी फर्जी शिक्षकों की कहानी पढ़े पूरी खबर पैरी टाईम्स पर ।
गरियाबंद कहते हैं शिक्षा मनुष्य का आभूषण है मगर मगरलोड में 2007 की भर्ती ने साबित कर दिया कि यहां घोटाला ही सबसे बड़ा आभूषण था। पुलिस ने आखिरकार 18 साल बाद इस फाइल की धूल झाड़ते हुए तीन आरोपियों को पकड़कर जेल भेज दिया। लेकिन मज़ा यह है कि जब ये सब चल रहा था तब पढ़ाई के बजाय अंकों का जादू और प्रमाण पत्रों की तिकड़म से ही भविष्य लिखे जा रहे थे।

फर्जी शिक्षा कर्मी भर्ती मामला जाने क्या है?
शिक्षाकर्मी वर्ग-3 भर्ती प्रक्रिया में कुछ ऐसे खिलाड़ी मैदान में उतरे जिन्होंने फर्जी अनुभव के बल्ले से चौके-छक्के जड़ दिए और असली योग्य उम्मीदवार डगआउट में ही बैठे रह गए। खासकर अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों को खेल से ही बाहर कर दिया गया। शिकायतें हुईं, केस दर्ज हुआ और फिर वही सरकारी स्पीड यानी कछुए की चाल!
किस पर गिरी गाज?
पुलिस ने अब जाकर तीन नाम सामने लाए
ईशु कुमार (कमरौद)
सीताराम (मेघा)
कोमल सिंह (मोहंदी)
ये तीनों जेल की चारदीवारी में पहुंच गए हैं, लेकिन पुलिस खुद मान रही है कि असली स्क्रिप्ट तो अभी बाकी है।
फर्जी लिस्ट में शिक्षक कम जादूगर ज्यादा
183 नामों की लिस्ट मिली है, जिनमें शिक्षक कम, जादूगर ज्यादा नजर आते हैं। पुलिस कह रही है कि जांच जारी है। अब जनता सोच रही है—क्या इस जांच का भी सिलेबस 2030 तक पूरा होगा या फिर यह फाइल भी रिजल्ट आने से पहले बंद हो जाएगी?
पुलिस की बाइट
यह तो सिर्फ शुरुआत है, बाकी कई किरदार अभी परदे के पीछे हैं।
गरियाबंद की फाइल धूल खा रही
वैसे धमतरी में फाइल खुल गई, जांच शुरू हो गई, लेकिन मजेदार बात यह है कि ठीक ऐसा ही मामला गरियाबंद में भी पिछले कई सालों से लंबित पड़ा है। उसकी फाइल आज भी सीईओ की टेबल पर आराम फरमा रही है, और कार्रवाई के नाम पर अब तक शून्य लिखा जा रहा है। जनता उम्मीद कर रही है कि धमतरी की तरह गरियाबंद में भी प्रशासन नींद से जागेगा और कार्यवाही की शुरुआत करेगा ।
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