हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
बिलासपुर के पचपेड़ी थाना क्षेत्र में मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर हुए विवाद ने एक दर्दनाक मोड़ ले लिया। पांचवीं कक्षा के छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना ने बच्चों में बढ़ती तकनीकी लत और इसके मानसिक प्रभाव को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है।
परिवार के पास था सिर्फ एक मोबाइल, बना तनाव का कारण
तीन भाइयों के पास सिर्फ एक मोबाइल था, जिसे लेकर अक्सर झगड़े होते थे। घटना के दिन भी छोटे भाई और बड़े भाई के बीच मोबाइल चलाने को लेकर विवाद हुआ। घर में माता-पिता खेत गए हुए थे, और बड़ा भाई स्कूल में था। अकेलेपन और गुस्से में आकर छात्र ने यह खौफनाक कदम उठाया। बड़े भाई ने स्कूल से लौटते समय खिड़की से छोटे भाई का शव फांसी के फंदे से लटकते देखा। ग्रामीणों की मदद से पुलिस को सूचना दी गई और दरवाजा तोड़कर शव को बाहर निकाला गया। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया।
समाज के लिए चेतावनी,बच्चों को तकनीकी उपकरणों का सही उपयोग सिखाने की जरूरत ।
इस घटना ने तकनीकी उपकरणों पर बच्चों की बढ़ती निर्भरता और उनके मनोवैज्ञानिक प्रभाव को उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल के अधिक उपयोग से बच्चों के बीच तनाव, गुस्सा और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।मनोचिकित्सकों के अनुसार, माता-पिता को बच्चों के साथ संवाद बढ़ाना चाहिए और उन्हें तकनीकी उपकरणों का संतुलित उपयोग सिखाना चाहिए। स्कूलों में भी डिजिटल उपकरणों के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।