“मां का लाल देश के नाम कुर्बान: अबूझमाड़ में शहीद हुए बिरेंद्र सोरी ने साहस की लिखी नई गाथा”

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद

नारायणपुर: अबूझमाड़ का दुर्गम क्षेत्र, जहां हर कदम पर खतरा है, सोमवार को फिर एक जवान की शहादत का गवाह बना। नक्सलियों द्वारा प्लांट किए गए आईईडी ब्लास्ट में नारायणपुर के डीआरजी के प्रधान आरक्षक बिरेंद्र कुमार सोरी ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। यह हादसा गारपा इलाके में हुआ, जहां जवान सर्चिंग ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों के निशाने पर आ गए। बिरेंद्र सोरी, जो 2010 में नारायणपुर जिला बल में आरक्षक के पद पर भर्ती हुए थे, ने अपनी कड़ी मेहनत और वीरता से 2018 में प्रधान आरक्षक के पद तक का सफर तय किया। नक्सल ऑपरेशन में उनके अदम्य साहस के लिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया।

मां की आंखों के आंसू और परिवार की वीरगाथा


बिरेंद्र सोरी का बलिदान उनके परिवार के लिए असहनीय है। उनकी मां ने रोते हुए कहा, “मेरा बेटा अपने देश के लिए लड़ते-लड़ते शहीद हुआ। मुझे उस पर गर्व है, लेकिन वह मेरी आंखों का तारा था, जो अब हमेशा के लिए बुझ गया।”

उनके परिवार और गांव वालों के लिए यह सिर्फ एक दुखद घटना

नहीं, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ उनकी अमिट छाप है। उनकी वीरता से प्रेरित होकर कई युवा अबूझमाड़ जैसे कठिन इलाके में देश सेवा के लिए आगे आ रहे हैं। नक्सलवाद के खिलाफ संघर्ष और सरकार की जिम्मेदारी यह शहादत एक बार फिर इस बात की गवाही देती है कि नक्सलवाद ने न सिर्फ सुरक्षा बलों को, बल्कि आम जनता को भी चुनौती दी है। सरकार को इन वीर जवानों की सुरक्षा और नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की गति तेज करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

बिरेंद्र सोरी का बलिदान यह याद दिलाता है कि इस लड़ाई में हर शहादत, नक्सलवाद के अंत के करीब ले जाने वाला एक कदम है। उनकी स्मृति हमेशा उन जवानों को प्रेरणा देगी, जो इस जंग में जुटे हुए हैं।

वीरता को सलाम!
अबूझमाड़ की मिट्टी में दफ्न एक और वीर गाथा, जो आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति और साहस का पाठ पढ़ाएगी। बिरेंद्र सोरी अमर रहें!

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