हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद बिन्द्रानवागढ़ को पाँच बार विधायक देने वाले मुनगापदर गाँव के लोग आज भी नदी किनारे गड्ढा (झरिया) खोदकर पानी पीने को मजबूर हैं, क्योंकि “हर घर नल से जल” योजना यहां “हर घर नल… बस नल” बनकर रह गई है! जल जीवन मिशन के तहत गाँव में 4 हजार लीटर की पानी की टंकी मंजूर हुई थी, लेकिन पानी छोड़िए, इसमें सपने भी नहीं भरे जा सकते।

जिसे नल की टोंटी लगानी नहीं आती, वो बना ठेकेदार!
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरलीधर सिन्हा जब पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान मुनगापदर गाँव पहुँचे, तो ग्रामीणों ने दर्द बयां किया—”हमें पानी की ज़रूरत थी, मगर ठेकेदारों ने मज़ाक बना दिया!” टंकी तो खड़ी कर दी गई, लेकिन बिना जल स्रोत के, यानी सिर्फ़ दिखावे के लिए।

गर्मी में सूखा हैंडपंप, पीएचई विभाग ने दिया “बरसात का इंतज़ार” वाला ज्ञान!
मुनगापदर गाँव में बीस से ज़्यादा बोर खुदवाए गए, मगर सबके सब ड्राई निकले। मजबूरी में लोग नदी के झरिया से पानी लाते थे, लेकिन अब वह भी सूख चुका है। जब ग्रामीणों ने ठेकेदार और मिस्त्री से सवाल किया, तो जवाब मिला—”बरसात आएगी तो टंकी में पानी आ जाएगा!”
विकास के नाम पर बैठकें, पानी के नाम पर ठेंगा!
मुरलीधर सिन्हा ने सवाल उठाया कि “हर हफ्ते प्रशासन टाइम लिमिट मीटिंग करता है, मगर मुनगापदर गांव जैसी इन बुनियादी समस्याओं पर कोई चर्चा क्यों नहीं होती?” लोक निर्माण विभाग ने अमलीपदर से देवभोग तक सड़क चौड़ीकरण के नाम पर गाँव की पुरानी पाइपलाइन भी तोड़ डाली, मगर उसे दोबारा बिछाने की किसी ने जरूरत नहीं समझी।
पाँच बार विधायक, फिर भी सूखा गाँव! कौन जिम्मेदार?
मुनगापदर को पूर्व विधायक बलराम पुजारी और डमरूधर पुजारी का गाँव होने का गौरव प्राप्त है, मगर अब यही गाँव बिना पानी के विकास का क्रूर मज़ाक बन गया है। जल जीवन मिशन का ठेका जिन लोगों को दिया गया, उन्होंने गुणवत्ता और तकनीकी मानकों की धज्जियाँ उड़ा दीं।
प्रशासन कब देगा जवाब? या गाँव वाले चुनाव तक करें इंतज़ार?
अब सवाल यह है कि पीएचई विभाग और प्रशासन इस गंभीर जल संकट को कब दूर करेगा? क्या एनएसयूआई की तरह भाजपा भी सड़कों पर उतरेगी या फिर गाँव के लोग अगले चुनाव का इंतज़ार करें ?