हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
मुरहा नागेश जमीन कब्जा विवाद पांच साल से सरकारी दफ्तरों में दौड़ते मुरहा नागेश ने भूख हड़ताल का सहारा लिया, तो जागा सिस्टम आखिर मिला लिखा-पढ़ी वाला आश्वासन पढ़िए पूरी घटना पैरी टाइम्स 24×7 पर ।
गरियाबंद पिछले 5 सालों से ज़मीन के लिए राजस्व विभाग के चक्कर काटते मुरहा नागेश को अब जाकर प्रशासन ने कृपा करके भरोसा दिलाया है वो भी इस बार लिखित में भूख लगी, आत्मदाह की धमकी दी, मीडिया आई, फिर क्या था प्रशासन हरकत में आ गया!अमलीपदर के खरीपथरा गांव का मुरहा नागेश अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ सोमवार सुबह गरियाबंद कलेक्ट्रेट के सामने भूख हड़ताल पर बैठ गया। मांग वही पुरानी साहब, मेरी ज़मीन लौटा दो लेकिन इस बार परिवार ने आत्मदाह की चेतावनी देकर पूरा सिस्टम हिला दिया। लगभग 12 घंटे की भूख, पसीना, और गर्मी के बाद आखिरकार शाम 8 बजे गरियाबंद प्रशासन ने लिखित आश्वासन दे दिया।

मुरहा नागेश जमीन कब्जा विवाद
मुरहा नागेश जमीन कब्जा विवाद देवभोग एसडीएम तुलसीदास मरकाम ने कहा अबकी बार पक्का
मुरहा नागेश को लिखित आश्वासन दिया गया है कि 15 जुलाई को कब्जा दिलाया जाएगा, विपक्षी पर कार्रवाई होगी और त्रुटि सुधार को दो महीने मिलेंगे।
यानि एक बार फिर फॉर्मूला वही थोड़ा और इंतज़ार कीजिए, इस बार सच में होगा।

थानेदार ने खिलाई मिठाई, भूख हड़ताल खत्म
गरियाबंद थाना प्रभारी ओपी यादव ने खुद सामने आकर मिठाई खिलाकर नागेश परिवार की भूख हड़ताल खत्म करवाई। वैसे सिस्टम भूख से नहीं, खबर से जागता है—ये अब हर आम आदमी जान गया है।
रिश्वत लगभग सबने ली, पर जमीन नहीं दी!
मुरहा नागेश का आरोप है कि पिछले 5 सालों में उसने राजस्व विभाग के कई अधिकारी कर्मचारी को 4 से 5 लाख रुपये तक की रिश्वत दी, फिर भी न तो ज़मीन मिली, न इंसाफ। 7.5 एकड़ ज़मीन वाला यह परिवार आज किराए के घर में जी रहा है, और खुद की ज़मीन पर बस सपना देखता है।
सवाल क्या यही है सत्य की अब न्याय भूख से आता है …
काश, देश की न्याय व्यवस्था को भी भूख लगती, शायद तब वो हर गरीब को वक्त पर उसका हक़ देती। लेकिन यहां तो भूख, चेतावनी और मीडिया कवरेज के बाद ही तंत्र की नींद खुलती है।
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