हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24,×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद में अफसरशाही गरियाबंद पंचायत विवाद में सुबह खबर बनने के बाद शाम तक कलेक्टर ने आदेश जारी किया। के.एस. नागेश को जिला पंचायत प्रभारी उप संचालक पद से हटाया गया, मगर जनपद पंचायत सीईओ की कुर्सी अब भी बरकरार पढ़ें पूरा मामला पैरी टाईम्स पर।
गरियाबंद जिले में लंबे समय से चर्चा में रहे नागेश मॉडल का अध्याय अब बदल गया है। सुबह होते ही यह मामला फिर सुर्खियों में आया और शाम तक कलेक्टर भगवान सिंह उइके ने आदेश जारी कर दिया। तृतीय श्रेणी अराजपत्रित अधिकारी के.एस. नागेश को जिला पंचायत के प्रभारी उप संचालक पद से हटा दिया गया है। उनके स्थान पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और अपर कलेक्टर पंकज डाहिरे को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।

गरियाबंद में अफसरशाही
गरियाबंद में अफसरशाही विवाद की जड़ नियमों की अनदेखी
गौरतलब है कि के.एस. नागेश को नियमों के विपरीत जिला पंचायत का प्रभारी उप संचालक और जनपद पंचायत गरियाबंद का मुख्य कार्यपालन अधिकारी बनाया गया था। जबकि वित्त विभाग के वर्ष 2003 के निर्देश स्पष्ट रूप से कहते हैं कि केवल राजपत्रित अधिकारी ही कार्यालय प्रमुख और आहरण संवितरण अधिकारी हो सकते हैं। इसी नियम उल्लंघन को लेकर यह मामला लगातार चर्चा में रहा और जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम की शिकायत के बाद रायपुर संचालनालय ने 28 जुलाई को नोटिस जारी किया था।
आधा समाधान, बाकी सवाल
हालांकि कलेक्टर ने आदेश जारी कर नागेश को जिला पंचायत प्रभारी उप संचालक पद से हटा दिया है और पंकज डाहिरे को जिम्मेदारी दी है, लेकिन जनपद पंचायत सीईओ का प्रभार अब भी नागेश के पास है। यही वजह है कि जिले में चर्चाएं तेज हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं क्या यह कदम सिर्फ दबाव कम करने के लिए उठाया गया है? या फिर जल्द ही उन्हें जनपद पंचायत सीईओ पद से भी हटाया जाएगा?
जनता की चर्चा
स्थानीय लोग तंज कसते हुए कह रहे हैं ।एक कुर्सी से हटाना और दूसरी पर टिकाए रखना नियम पालन नहीं, बल्कि खेल का हिस्सा लगता है।
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