नंदनी बाई की आत्महत्या: बेटियों के जन्म पर समाज की पुरानी सोच और घरेलू हिंसा के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत।

Photo of author

By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी/ गरियाबंद

गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले परसदा कला गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने महिला सशक्तिकरण और घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत को फिर से महसूस किया जा रहा है। घरेलू प्रताड़ना से तंग आकर नंदनी बाई देवांगन ने आत्मदाह कर लिया, जो इस बात का सबूत है कि बेटियों के जन्म को लेकर समाज में अभी भी पुरानी और दकियानूसी सोच हावी है।

5 साल और 8 की बच्ची बताया कि उनकी मां को बेटियों के लिए मिलते थे ताने ।

पुलिस जांच और परिवार की गवाही से यह सामने आया है कि नंदनी का पति सोहन देवांगन शराब के नशे में अक्सर मारपीट करता था, जबकि सास और ससुर “लड़की पैदा करने” के लिए ताने मारकर उसे मानसिक प्रताड़ना देते थे। यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या बेटियों के जन्म को लेकर आज भी कुछ परिवारों में महिलाओं को दोषी ठहराना उचित है?

प्रताड़ना को लेकर पति सास और ससुर गिरफ्तार, मगर बेटी पैदा होने पर लोगो की मानसिकता कब बदलेगी ।

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पति और सास-ससुर को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या केवल कानूनी कार्रवाई पर्याप्त है, या आज भी समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए व्यापक जागरूकता की आवश्यकता है? घरेलू हिंसा के खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। सामाजिक और सरकारी प्रयासों से ही इस प्रकार की मानसिकता और घटनाओं को खत्म किया जा सकता है।

कृपया शेयर करें

HIMANSHU SANGANI प्रधान संपादक - PAIRITIMES24×7 OPP POST OFFICE,MAIN ROAD,GARIYABAND,CHHATTISHGARH Mobile - 8225022000/8225022001

लगातार सही खबर सबसे पहले जानने के लिए हमारे वाट्सअप ग्रुप से जुड़े

Join Now

Join Telegram

Join Now

error: Content is protected !!