हिमांशु साँगाणी
महतारी एक्सप्रेस की रफ्तार : कॉल करते रहो, सुनता कौन है!
गरियाबंद छुरा स्वास्थ्य केंद्र में लापरवाही के चलते गर्भवती महिला की इलाज में देरी से मौत। महतारी एक्सप्रेस और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से ग्रामीणों में आक्रोश। पढ़िए पूरी खबर।

छुरा स्वास्थ्य केंद्र में लापरवाही
गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक में शुक्रवार को एक गर्भवती महिला की जान गई। वजह वही पुरानी — फोन बजता रहा, एंबुलेंस सोती रही। महतारी एक्सप्रेस सेवा को फोन किया गया, लेकिन शायद फोन की घंटी स्वास्थ्य विभाग के कान तक नहीं पहुंच पाई।
छुरा स्वास्थ्य केंद्र में लापरवाही: मरीज आए, इंतजार करे, दम तोड़ दे
ममता गोंड (27 वर्ष) को दो घंटे बाद एंबुलेंस नसीब हुई। जब किसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छुरा पहुंचीं, तो लगा कि अब राहत मिलेगी। लेकिन नहीं! यहां भी आधे घंटे तक इलाज की जगह इंतजार का टिकट थमाया गया। परिजनों का कहना है कि ममता जिंदा थी और बातचीत कर रही थी, पर डॉक्टर साहब को ओपीडी से फुर्सत नहीं मिली।
डॉक्टर साहब का जवाब : हम तो ड्यूटी पर थे, मरीज़ खुद चला गया
डॉ. डी.एस. निषाद के मुताबिक वे तो ओपीडी में थे। जब “सूचना” मिली तो वे दौड़े-दौड़े आए, लेकिन तब तक ममता जिंदगी की जंग हार चुकी थी। सवाल यह है कि क्या छुरा स्वास्थ्य केंद्र में इमरजेंसी मरीजों के लिए कोई अलग व्यवस्था नहीं है?
परिजनों का गुस्सा : जाँच चाहिए, मगर असली दोषी कौन?
परिजनों ने एंबुलेंस सेवा और चिकित्सकों की लापरवाही को ममता की मौत का जिम्मेदार बताया है। उच्चस्तरीय जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई गई है। लेकिन छुरा में कौन जांच करेगा — वही जो सोते रहे?
स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल : आखिर किसके भरोसे जिएं ग्रामीण?
गांव में मातम पसरा है और सवाल भी। जब एक गर्भवती महिला को समय पर इलाज नहीं मिल सकता, तो फिर बाकी मरीजों की उम्मीद किससे करें? स्वास्थ्य विभाग की “सेवा” पर पूरा क्षेत्र अब हँसी और गुस्से के बीच झूल रहा है।
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