NHM नियमितीकरण आंदोलन संविदा कर्मियों की अनसुनी फरियाद मानसून सत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था को मौसमी बुखार चढ़ाने की तैयारी ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

NHM नियमितीकरण आंदोलन सरकार की कानों की मशीन अब भी खराब छत्तीसगढ़ के NHM संविदा कर्मचारियों ने नियमितीकरण और अधिकारों की मांगों पर निर्णय न होने से मानसून सत्र में बड़े आंदोलन की तैयारी की है। पढ़िए पूरी खबर।

गरियाबंद छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा कर्मियों की नियमितीकरण और मूलभूत अधिकारों की मांगें शासन-प्रशासन के कान के पर्दे तक पहुँचते-पहुँचते इतनी कमजोर हो गईं कि दो महीने में भी कोई फैसला नहीं निकल सका। अब कर्मियों ने ठान लिया है कि अगर उनकी आवाज़ नहीं सुनी गई, तो मानसून सत्र के दौरान ऐसा आंदोलन होगा कि राजधानी की दीवारें भी खांसने लगेंगी!

NHM नियमितीकरण आंदोलन

NHM नियमितीकरण आंदोलन

NHM नियमितीकरण आंदोलन एक महीने में हल निकालेंगे का वादा, दो महीने में भी कुछ नहीं

अप्रैल में NHM संघ के प्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य सचिव श्री अमित कटारिया और आयुक्त प्रियंका शुक्ला से मिलकर नियमितीकरण, ग्रेड पे, मेडिकल लीव और ट्रांसफर पॉलिसी पर गहरी चर्चा की थी। अधिकारियों ने एक महीने में मांगें पूरी कर देंगे का ऐसा भरोसा दिया था कि कर्मचारियों ने भी एक महीने तक हरे सिग्नल का इंतजार किया। मगर दो महीने बाद भी सरकार की तरफ से न कोई लेटर, न कोई ठोस हल!

मानसून सत्र में आंदोलन की बिजली, शासन पर गिर सकती है गाज

अब NHM कर्मचारी 14 से 18 जुलाई के विधानसभा मानसून सत्र में राजधानी पहुँचकर ऐसा तांडव करने की तैयारी कर रहे हैं जिससे सत्ता गलियारों में भी वायरल फीवर फैल जाए। प्रदेशभर से कर्मचारी जिलाध्यक्षों के माध्यम से प्रांतीय अध्यक्ष को अनिश्चितकालीन आंदोलन की सिफारिश कर चुके हैं।

20 साल से कम वेतन और बिना मेडिकल लीव के स्वास्थ्य सेवाएं

कर्मचारी नेता अमृत राव भोंसले और संदीप वर्मा का कहना है कि 20 साल से कम तनख्वाह, बिना ग्रेड पे, बिना मेडिकल अवकाश के भी इन NHM कर्मियों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों तक मरीजों की जान बचाई है। इन्हीं के भरोसे छत्तीसगढ़ को कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं । पर शासन के कानों में अब तक कोई हलचल नहीं।

बारिश में आंदोलन का साइड इफेक्ट बीमारी बढ़ेगी, जिम्मेदार कौन

NHM कर्मचारियों का आंदोलन शुरू होते ही डायरिया, उल्टी, सांप-बिच्छू के काटने जैसे मौसमी रोगों से पीड़ित मरीजों को दर-दर भटकना पड़ सकता है। ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत कोमा में जाने की पूरी संभावना है । और इसका जिम्मेदार शासन ही होगा।

NHM संघ का आखिरी अल्टीमेटम अभी भी समय है

संघ ने सरकार को चेताया है कि जनस्वास्थ्य के हित में कर्मचारियों की मांगों पर तत्काल निर्णय लें, नहीं तो मानसून की तरह आंदोलन भी लंबा और तबाही वाला होगा!

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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