NHM हड़ताल इलाज मांगने वालों को मिली सरकार की धमकी नौकरी या आंदोलन ? सेवा से पृथक करने का शासन का अल्टीमेटम ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

NHM हड़ताल छत्तीसगढ़ में 16 हजार NHM संविदा कर्मचारी 13 दिन से हड़ताल पर हैं। सरकार ने धमकी देकर काम नहीं तो वेतन नहीं का आदेश जारी किया, जबकि कर्मचारी कह रहे हैं । नियमितीकरण नहीं तो काम नहीं । अस्पतालों में सेवाएं ठप, जनता बेहाल और प्रशासन का इलाज अभी बाकी।

गरियाबंद/रायपुर प्रदेश के 16 हजार से ज्यादा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) कर्मचारी पिछले 13 दिनों से हड़ताल पर हैं। उनकी मांगें वही पुरानी हैं । नियमितीकरण, वेतनमान और स्थायी नौकरी की गारंटी। लेकिन समाधान निकालने के बजाय, सरकार ने उनका इलाज धमकी की खुराक से करने का नुस्खा निकाल लिया है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की तरफ से 29 अगस्त को जारी आदेश में कहा गया है कि अगर कर्मचारी ऑफिस नहीं लौटे तो सेवा समाप्ति की कार्रवाई होगी। साथ ही काम नहीं तो वेतन नहीं का फार्मूला लागू करने का फरमान भी जारी कर दिया गया है।

NHM हड़ताल

NHM हड़ताल

यानी, कर्मचारी कह रहे हैं ।
हमें नौकरी की सुरक्षा चाहिए
और प्रशासन जवाब दे रहा है
अगर नौकरी चाहिए तो पहले काम पर आओ, वरना नौकरी ही खत्म

NHM हड़ताल अस्पतालों में मरीज बेहाल,जिम्मेदार कौन?

दिलचस्प यह है कि हड़ताल के चलते अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं, लेकिन शासन की नजर में दोष केवल उन कर्मचारियों का है जो अपनी हक की मांग उठा रहे हैं।

प्रश्न यह उठता है कि

अगर हजारों कर्मचारी एक साथ हड़ताल पर चले जाते हैं, तो क्या यह सिर्फ कर्मचारियों की जिद है या प्रशासन की नीतिगत विफलता जो व्यवस्था कर्मचारियों की मांगें सुनने से पहले ही नोटिस भेजने पर उतारू हो, क्या वह सचमुच लोक स्वास्थ्य की चिन्ता कर रही है?

काम नहीं तो वेतन के बाद अब काम पर नहीं लौटने पर काम से हटाने की चेतावनी

सरकार कहती है काम नहीं तो वेतन नहीं कर्मचारी पलटकर कह रहे हैं नियमितीकरण नहीं तो काम नहीं! लगता है प्रशासन भूल गया है कि डॉक्टर की दवा से पहले मरीज को निदान (Diagnosis) चाहिए। बिना समस्याओं का निदान किए सिर्फ नोटिस और आदेश से इलाज नहीं होता।

एनएचएम कर्मी अपने हक के लिए अड़े

NHM कर्मियों की मांगें सिर्फ तनख्वाह बढ़ाओ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ को मजबूत करने की लड़ाई है।प्रशासन चाहे जितने आदेश जारी कर ले, लेकिन जब तक कर्मचारियों की आवाज़ नहीं सुनी जाएगी, तब तक जनता और स्वास्थ्य सेवा दोनों ही बीमार रहेंगे।

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गरियाबंद में हड़ताल पर बैठे कर्मचारी अब मोदी गारंटी खोज रहे

छत्तीसगढ़ के 16 हज़ार एनएचएम संविदा कर्मचारी 13 दिन से हड़ताल पर हैं। चुनाव के वक्त मिली मोदी की गारंटी अब नदारद है, इसको लेकर अब गरियाबंद बैठे कर्मियों को सरकार ने पूछा है कि वे उनका जवाब देने के बजाय उन्हें नोटिस देने में व्यस्त है । कर्मचारी राजधानी रायपुर में गारंटी खोज अभियान निकाल रहे हैं और जनता से पूछ रहे हैं । कहीं आपको गारंटी दिखी क्या?
सवाल यही है । जब इलाज करने वाले ही सड़कों पर हों, तो प्रदेश की सेहत का जिम्मेदार कौन?

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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