हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद में नवरात्रि का उत्साह चरम पर है, लेकिन इस बार ज्वारा विसर्जन से पहले ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। वर्षों से चली आ रही ‘अस्थायी इंतज़ामों’ की परंपरा को तोड़ते हुए, नगर पालिका अध्यक्ष रिखीराम यादव ने खुद मोर्चा संभाला और पहली बार विसर्जन स्थल को व्यवस्थित और स्थायी रूप से तैयार करने की पहल की।
हर साल नवरात्रि के बाद ज्वारा विसर्जन के लिए तालाब या कुंड की सफाई अंतिम समय में की जाती थी, जिससे भक्तों को असुविधा होती थी। लेकिन इस बार नगर के शीतला मंदिर के पुजारियों ने नगर पालिका से अपील की कि यह काम पहले से ही अच्छे से किया जाए। रिखीराम यादव ने इसे गंभीरता से लिया और खुद कार्यस्थल पर पहुंचकर सफाई अभियान शुरू करवाया।

पहली बार विसर्जन स्थल पर विधिवत पूजा-अर्चना
रिखीराम यादव ने पहले शीतला मंदिर पहुंचकर मंदिर समिति अध्यक्ष हेमलाल सिन्हा और मुख्य पुजारी से मुलाकात की। उन्होंने सभी से अपील की कि वे उनके साथ विसर्जन स्थल पर चलें और पूजा-अर्चना करके कार्य की शुरुआत करें।
नगर पालिका अध्यक्ष की यह रणनीति क्यों खास है?
- पहली बार ज्वारा विसर्जन स्थल पर योजनाबद्ध सफाई अभियान।
- कुंड को स्थायी रूप से संरक्षित करने का प्रस्ताव।
- तालाब की सीढ़ियों (पचरी) की मरम्मत और सौंदर्यीकरण।
- हर साल इसे बेहतर बनाने की योजना।

“यह केवल सफाई नहीं, आस्था का सम्मान है” – रिखीराम यादव
रिखीराम यादव ने कहा –
“यह केवल एक सरकारी काम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। जब भक्त माता के चरणों में ज्वारा चढ़ाते हैं, तो हमारा कर्तव्य बनता है कि उनका विसर्जन भी पूरी पवित्रता और सुविधा के साथ हो।”
नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोनटेके, नगर पालिका के इंजीनियर अश्वनी वर्मा और बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु इस कार्य में शामिल हुए।
“अब हर साल होगा स्थायी समाधान?”
नगर के कई श्रद्धालु वर्षों से इस ऐतिहासिक समस्या का हल चाहते थे। अब जब नगर पालिका ने इस पर काम शुरू किया है, तो सवाल उठता है – क्या यह सुधार हर साल जारी रहेगा? यदि यह योजना सफल होती है, तो गरियाबंद का ज्वारा विसर्जन स्थल पूरे जिले के लिए एक मिसाल बन सकता है।