गरियाबंद की विडंबना अधिकारियों की तर्ज पर अब कर्मचारी भी रोजाना करने लगे अप डाउन,नहीं छूट रहा राजधानी का मोह ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी गरियाबंद पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क

गरियाबंद की विडंबना अधिकारियों की तर्ज पर अब कर्मचारी भी रोजाना करने लगे अप डाउन अफसरों और कर्मचारियों का रायपुर मोह अब प्रशासनिक समस्या बन चुका है। बसों में अप-डाउन करते साहब लोग अब दफ्तर कम, बस स्टैंड ज्यादा दिखते हैं।

गरियाबंद की विडंबना

गरियाबंद की विडंबना

गरियाबंद की विडंबना साहब लोग दफ्तर नहीं आते, बस से ‘पधारते’ हैं!


गरियाबंद जिला प्रशासन अब उस ढाबे की तरह हो गया है, जहां लोग आते तो हैं पर सिर्फ चाय पीकर निकल जाते हैं। पहले सिर्फ बड़े अफसर ही राजधानी रायपुर से रोज अप-डाउन करते थे, अब छोटे कर्मचारी भी उसी VIP रूट पर चल पड़े हैं। ऑफिस एक दिन की ड्यूटी और रोज़ की यात्रा बन गया है!

भगत-परमेश्वरी की ‘VIP सर्विस’ : अफसरों के लिए स्पेशल अप-डाउन बसें!


सुबह 9 बजे जैसे ही राजिम से भगत ट्रैवल्स (CG.24.E.7904) और मां परमेश्वरी ट्रैवल्स (CG.23.E.3273) गरियाबंद पहुंचती हैं, तो लगता है जैसे राजधानी से ‘कार्यवाहक’ अफसरों का कारवां उतर रहा हो। कोई रायपुर से, कोई अभनपुर या राजिम से सब कंधे पर बैग, चेहरे पर सरकारी गंभीरता और जेब में ट्रैवल पास लिए सीधे दफ्तर की ओर बढ़ते हैं।

3:30 की घंटी और 5 बजे बाय-बाय गरियाबंद


लंच के बाद माहौल ऐसा बनता है जैसे परीक्षा खत्म होते ही स्टूडेंट्स घर दौड़ते हों। 3:30 बजते ही वापसी शुरू साहब लोग निकल लेते हैं, मानो जिले की नहीं राजधानी की जिम्मेदारी हो! 6 बजे की आखिरी बस पकड़ने वाले ही विकास की अंतिम उम्मीद हैं। शुक्रवार शनिवार को तो कई लोग नजर ही नहीं आते ।

विकास की दौड़ में 13 साल पीछे, अफसरों की बदौलत

विडंबना देखिए गरियाबंद अपने समकक्ष जिलों से 13 साल पहले बना, लेकिन विकास के नाम पर अब भी गियर शिफ्ट नहीं हुआ। जब अफसर अपने कार्यक्षेत्र को महज़ आवागमन प्वाइंट समझेंगे, तो जनता की समस्याओं का समाधान क्या वर्चुअल मीटिंग से होगा?

RTO की चेतावनी और टैक्सी यूनियन का तंज

आरटीओ विभाग ने साफ कर दिया है परमिट का उल्लंघन करने वालों पर गिरेगी गाज। यानी जो बसें कार्यालयों तक अफसरों को पहुंचा रही हैं, वे नियम तोड़ रही हैं। टैक्सी यूनियन अध्यक्ष प्रेम सोनवानी ने भी चेताया किराया कम, सेवा VIP – ये तो सीधा टैक्सी वालों के पेट पर लात है!

Pairi Times की अपील

गरियाबंद को अफसरों की गुज़री हुई बस मत बनाइए गरियाबंद के आम लोगों का सवाल वाजिब है जब अफसर जिले में रुकेंगे ही नहीं, तो विकास कौन करेगा? क्या प्रशासनिक सेवाएं अब बस सुविधा पर निर्भर हो गई हैं? Pairi Times पूछता है क्या गरियाबंद अब बस स्टैंड बन कर रह जाएगा?

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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